Bihar News: आज जब भारत तेजी से वैश्विक मंच पर आधुनिकता की ओर बढ़ रहा है, तब भी लोक संस्कृति हमें हमारी जड़ों से जोड़े रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। लोक जीवन की परंपराएं, रीति-रिवाज, जीवनशैली और सांस्कृतिक पहचान को जीवंत बनाए रखने के लिए ‘सीता महोत्सव 2025’ एक महत्वपूर्ण पहल के रूप में सामने आ रहा है। यह महोत्सव 10 मई को सीतामढ़ी के जानकी जन्मभूमि पुनौराधाम के प्रेक्षागृह में आयोजित किया जाएगा।
इस महोत्सव का उद्देश्य मां सीता के लोकजीवन में योगदान और भारतीय संस्कृति में उनके स्थान को पुनः स्मरण कराना है। हिन्दुस्थान समाचार समूह द्वारा आयोजित यह आयोजन कश्मीर से कन्याकुमारी तक की सांस्कृतिक विविधता को एक सूत्र में पिरोने का प्रयास है।
मां सीता: लोक संस्कृति की प्रतीक
मां सीता भारतीय संस्कृति की आत्मा हैं। उनका जीवन त्याग, धैर्य और मर्यादा की मिसाल है। त्रेता युग से लेकर आज तक उनके आदर्श समाज के लिए प्रेरणास्रोत बने हुए हैं। ‘सीता महोत्सव 2025’ इस बात का स्मरण कराएगा कि आधुनिकता के इस दौर में भी हमारी लोक परंपराएं कितनी प्रासंगिक हैं।
विविधता में एकता की झलक
‘सीता महोत्सव’ के माध्यम से भारत की सांस्कृतिक विविधता को एक मंच पर लाया जाएगा। यह आयोजन न केवल धार्मिक और आध्यात्मिक महत्त्व रखता है, बल्कि सामाजिक एकजुटता और सांस्कृतिक पुनर्जागरण का भी माध्यम बनेगा।
हिन्दुस्थान समाचार समूह के अध्यक्ष अरविन्द भालचंद्र मार्डीकर इस कार्यक्रम की अध्यक्षता करेंगे। समूह के मुख्य समन्वयक राजेश तिवारी ने बताया कि यह महोत्सव लोक संस्कृति की गहराई में जाकर समाज को उसकी सांस्कृतिक पहचान से जोड़ने का प्रयास करेगा।
राज्यपाल और आध्यात्मिक संतों की उपस्थिति
महोत्सव में बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहेंगे और मां सीता के जीवन पर अपने विचार रखेंगे। इसके अलावा श्री जानकी जन्मभूमि मंदिर पुनौराधाम के श्रीमहंत कौशल किशोर दास जी महाराज, अयोध्या धाम के सिद्धपीठ हनुमत निवास के श्रीमहंत आचार्य मिथिलेशनंदिनीशरण जी महाराज, बगही धाम सीतामढ़ी के श्रीमहंत डॉ. शुकदेव दास जी महाराज और श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा की अनन्त श्री विभूषित महामंडलेश्वर श्री मां योग योगेश्वरी यती जी जैसे धार्मिक और आध्यात्मिक संत भी अपनी गरिमामयी उपस्थिति दर्ज कराएंगे।
कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथियों के रूप में उत्तर प्रदेश सरकार के राज्य सूचना आयुक्त पदुम नारायण द्विवेदी, भाग्य विधाता चैरिटेबल ट्रस्ट के संस्थापक अध्यक्ष राम सुरेश चौधरी, कार्यकारी अध्यक्ष संतोष सुरेश चौधरी और निदेशक भाष्कर झा भी शामिल होंगे।
सुरों की सुरम्य संध्या
सीता महोत्सव केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं होगा, बल्कि इसमें भारतीय शास्त्रीय संगीत की सुरम्य प्रस्तुति भी होगी। बिहार के ख्यात शास्त्रीय गायक पंडित उदय कुमार मलिक और भजन गायक डॉ. सुरेन्द्र कनौजिया अपनी मधुर गायकी से सांस्कृतिक शाम को रूहानी बना देंगे। शास्त्रीय संगीत और भजन प्रस्तुति लोक संस्कृति के इस भव्य मंच को और भी यादगार बना देगी।
सांस्कृतिक पुनर्जागरण का माध्यम
राजेश तिवारी ने स्पष्ट कहा कि अगर हमें एक मजबूत, नैतिक और एकजुट भारत का निर्माण करना है, तो हमें अपनी लोक संस्कृति की ओर लौटना होगा। मां सीता का जीवन भारतीय समाज की आत्मा है और उनका उदाहरण आज के युवाओं को अपनी संस्कृति से जुड़ने की प्रेरणा देगा। ‘सीता महोत्सव 2025’ न केवल श्रद्धा और भक्ति का आयोजन है, बल्कि यह संस्कृति, समाज और आत्मबोध का महाकुंभ भी है।