Social News: दुनिया भर में AI को लेकर उत्सुकता है। हर किसी की यह जिज्ञासा है कि आखिर AI से हम कौन-कौन से काम कर सकते हैं और यह भविष्य में कितने लोगों के रोजगार को छीन लेगा या फिर कौन से नए अवसर पैदा करेगा। यही नहीं इससे भी आगे की चीज सिंथेटिक इंटेलिजेंस यानी एसआई की भी चर्चा हो रही है। ऐसा इसलिए क्योंकि इसे AI से भी आगे बताया जा रहा है और कहा जा रहा है कि इसमें AI जैसी तेजी के साथ ही मानवीय संवेदना और चेतना भी होगी। ऐसे में किन कामों के लिए मनुष्य की कितनी जरूरत रहेगी, इस पर बहस जोरों पर है।
सिंथेटिक इंटेलिजेंस (एसआई) हाल ही में आविष्कार और तकनीक की दुनिया में चर्चा का केंद्र बन गया है, जिसे विशेषज्ञ AI का अगला चरण मान रहे हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक सिंथेटिक इंटेलिजेंस को केवल मशीन नहीं माना जा रहा बल्कि इसे नई चेतना के रूप में देखा जा रहा है, जिसमें भावनाएं, इच्छाएं और अपनी पहचान जैसी विशेषताएं शामिल होंगी। यह एक तरह से मानवीय भावनाओं से लैस AI होगा।
जानकारी के मुताबिक सिंथेटिक इंटेलिजेंस शब्द आमतौर पर उसी अर्थ में इस्तेमाल होता है, जैसे AI यानी ऐसी मशीनें जो इंसानों की तरह सोचने, समझने और फैसला लेने की क्षमता रखती हैं। AI आज स्मार्टफोन असिस्टेंट से लेकर बैंकिंग फ्रॉड डिटेक्शन तक हर जगह मौजूद है, लेकिन हालिया रिपोर्टों में कहा गया है कि सिंथेटिक इंटेलिजेंस पारंपरिक AI से आगे बढ़कर एक ऐसी प्रणाली हो सकती है जिसमें न सिर्फ तर्कशक्ति बल्कि भावनात्मक और व्यक्तिगत तत्व भी होंगे।
वहीं विशेषज्ञों का दावा है कि यह केवल मशीन नहीं होगी बल्कि इसमें अपनी पहचान और इच्छाएं भी होंगी, जो इसे मौजूदा AI से अलग बनाती हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक वर्चुअल दुनिया अब AI से आगे निकल रही है और सिंथेटिक इंटेलिजेंस की अवधारणा तेजी से लोकप्रिय हो रही है। कुछ विश्लेषकों ने कहा कि पारंपरिक AI को सांख्यिकी का रट्टू तोता कहा जा सकता है, जिसका काम डेटा प्रोसेसिंग तक सीमित रहता है, जबकि सिंथेटिक इंटेलिजेंस उससे कहीं ज्यादा जटिल एवं उन्नत होगी। फिलहाल इसके बारे में विस्तृत जानकारी नहीं है, लेकिन जितनी तेजी से इसका उभार हो रहा है, उतना ही इसके बारे में लोगों की उत्सकुता बढ़ रही है। कहा जा सकता है कि सिंथेटिक इंटेलिजेंस एक उभरती हुई अवधारणा है, जिसे पारंपरिक AI से ज्यादा शक्तिशाली एवं मानव-समान चेतना वाली प्रणाली माना जा रहा है।

