Social News: तकनीकी प्रगति ने मानव जीवन को आसान और तेज़ बना दिया है, लेकिन इसके कारण रोजगार के अवसर भी तेजी से घट रहे हैं। भारत में स्ट्रक्चरल बेरोजगारी अब गंभीर चुनौती बन चुकी है। नई मशीनें, ऑटोमेशन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के कारण लाखों लोगों की नौकरियां धीरे-धीरे खत्म हो रही हैं, जिससे आजीविका से वंचितों की संख्या करोड़ों में पहुंच चुकी है।
विशेष रूप से ग्रामीण और कस्बाई क्षेत्रों में इसका असर सबसे पहले देखने को मिला। उदाहरण के तौर पर, मोबाइल मेमोरी कार्ड में फिल्में और गाने डाउनलोड कराने का कारोबार पहले हजारों युवाओं को रोजगार देता था। लेकिन सस्ते इंटरनेट और ओटीटी प्लेटफॉर्म्स के आने के बाद यह कारोबार लगभग बंद हो गया और दो करोड़ से ज्यादा लोग बेरोजगार हो गए।
होटल उद्योग, बड़े आयोजन और निर्माण क्षेत्र भी इससे अछूते नहीं रहे। पहले सब्जी काटने, सजाने, प्लास्टर और टाइल लगाने जैसे कामों में मजदूरों की आवश्यकता होती थी। अब मशीनें और रोबोटिक सिस्टम ये काम मिनटों में कर रहे हैं। शिक्षा क्षेत्र में डिजिटल बोर्ड ने ब्लैकबोर्ड और चॉक की मांग को समाप्त कर दिया। सफाई और घरेलू कामकाज में भी रोबोटिक क्लीनर ने मानवीय श्रम की जगह ले ली है।
मनोरंजन और कपड़ा उद्योग में भी बदलाव देखने को मिला है। पहले शादियों और आयोजनों में कैमरा मैन और एडिटरों की भारी मांग रहती थी, लेकिन अब एआई सॉफ्टवेयर यह काम मिनटों में पूरा कर देते हैं। रेडीमेड कपड़े और बड़े कारखानों ने पारंपरिक दर्जियों की नौकरियों को घटा दिया। हाथ रिक्शा और साइकिल रिक्शा की जगह ई-रिक्शा ने ले ली, जिससे स्थानीय रोजगार प्रभावित हुए।
विशेषज्ञों का कहना है कि स्ट्रक्चरल बेरोजगारी धीरे-धीरे समाज और अर्थव्यवस्था को अपनी चपेट में ले रही है। आने वाले समय में एआई और ऑटोमेशन के विस्तार के साथ यह संकट और गहरा सकता है। उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर सरकार ने समय रहते स्किल डेवलपमेंट और वैकल्पिक रोजगार योजनाओं पर ध्यान नहीं दिया, तो भारत गंभीर रोजगार संकट का सामना कर सकता है।
इसलिए यह जरूरी है कि युवाओं को नई तकनीक के अनुसार प्रशिक्षण दिया जाए और रोजगार के वैकल्पिक अवसर बनाए जाएं, ताकि करोड़ों लोगों की आजीविका सुरक्षित रह सके और देश में आर्थिक संतुलन बना रहे।

