India News: मेडिकल और फार्मेसी शिक्षा की पवित्रता पर बड़ा सवाल उठाते हुए, सीबीआई ने एक बड़े भ्रष्टाचार घोटाले का भंडाफोड़ किया है, जिसमें फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया (पीसीआई) के मौजूदा चेयरमैन डॉ. मोंटू कुमार पटेल प्रमुख आरोपी के तौर पर सामने आए हैं। आरोप है कि चेयमैन पटेल ने फर्जी फार्मेसी कॉलेजों को रिश्वत लेकर मान्यता देने, निरीक्षण की तारीख और टीम की जानकारी पहले ही कॉलेजों को लीक करने जैसे गंभीर कृत्य किए।
इस मामले में सीबीआई द्वारा दर्ज की गई एफआईआर में कहा गया है कि एक संगठित नेटवर्क ने निजी मेडिकल व फार्मेसी कॉलेजों को फायदा पहुंचाने के लिए निरीक्षण की गोपनीय सूचनाएं लीक कीं। कॉलेजों को नकली डॉक्यूमेंट्स, फर्जी फैकल्टी, झूठे मरीज डेटा जुटाने का मौका दिया। बायोमेट्रिक सिस्टम में हेरफेर, और निरीक्षकों को रिश्वत दी गई। इस साजिश में सरकारी अफसर, बिचौलिये, निजी कॉलेज के प्रमुख और शिक्षा निकायों के शीर्ष अधिकारी शामिल थे। जबकि फार्मेसी काउंसिल के चेयरमैन इस रेकेट को चला रहे थे, जिन्हें मुख्य आरोपी बनाते हुए मामला दर्ज कर लिया गया है।
एफआईआर में हैं ये बड़े नाम
सीबीआई की इस जांच में जिन लोगों के नाम सामने आए हैं, उनमें डॉ. मोंटू पटेल, चेयरमैन, फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया, डीपी सिंह, चांसलर, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज और पूर्व अध्यक्ष, यूजीसी, सुरेश सिंह भदौरिया, चेयरमैन, इंडेक्स मेडिकल कॉलेज, इंदौर और मयूर रावल, रजिस्ट्रार, गीतांजलि यूनिवर्सिटी, उदयपुर प्रमुख हैं।
स्वास्थ्य मंत्रालय की शिकायत पर कार्रवाई
सीबीआई को यह मामला केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव की शिकायत के बाद सौंपा गया था। प्रारंभिक जांच (पीई) में मिले सबूतों के आधार पर डॉ. पटेल के खिलाफ आपराधिक साजिश, भ्रष्टाचार और पद का दुरुपयोग करने के आरोप में मामला दर्ज कर लिया गया।
पीसीआई की विश्वसनीयता पर सवाल
डॉ. मोंटू पटेल, जो खुद फार्मेसी शिक्षा के हितैषी और निगरानीकर्ता माने जाते हैं, पर लगे इन आरोपों ने पीसीआई की साख को गहरा झटका दिया है। यह वही संस्था है जो भारत में फार्मेसी कॉलेजों को मान्यता देने और उनकी गुणवत्ता की निगरानी का कार्य करती है।
अब आगे क्या?
सीबीआई ने कई ठिकानों पर छापेमारी की है और कुछ महत्वपूर्ण डिजिटल और दस्तावेजी सबूत जब्त किए हैं। यदि आरोप साबित होते हैं, तो यह मामला फार्मेसी शिक्षा की वैधता और छात्रों के भविष्य पर गंभीर असर डाल सकता है।
राजनीतिक और शैक्षणिक हलकों में हलचल
इस मामले ने शिक्षा क्षेत्र में हलचल मचा दी है। विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार से पीसीआई को भंग करने, मोंटू पटेल को पद से हटाने और स्वतंत्र न्यायिक जांच की मांग की है। फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया के प्रमुख पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप सिर्फ एक व्यक्ति पर नहीं, बल्कि पूरे मेडिकल-फार्मेसी शिक्षा तंत्र पर सवाल खड़े करते हैं। यह मामला बताता है कि यदि नियामक संस्थाएं ही भ्रष्ट हों, तो शिक्षा व्यवस्था कैसे चरमरा सकती है। अब निगाहें सीबीआई की आगामी कार्रवाई और न्यायपालिका के रुख पर टिकी हैं।