Bihar News: बिहार के चर्चित आईपीएस अफसर, सिंघम और सुपरकॉप के नाम से मशहूर शिवदीप वामनराव लांडे ने अपने 18 साल के उल्लेखनीय पुलिस करियर को अलविदा कहकर राजनीति में कदम रख दिया है। उन्होंने अररिया और मुंगेर के जमालपुर विधानसभा क्षेत्रों से बतौर निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव लड़ने का ऐलान किया है।
इस्तीफे के पीछे जनहित की सोच
2006 बैच के बिहार कैडर के इस आईपीएस अधिकारी ने 19 सितंबर 2024 को सोशल मीडिया पर अपना इस्तीफा सार्वजनिक कर दिया था। पूर्णिया रेंज का आईजी बनाए जाने के महज 13 दिन बाद लिए इस फैसले ने न सिर्फ पुलिस महकमे बल्कि पूरे बिहार की राजनीति में हलचल मचा दी। बिहार सरकार ने पहले उनका इस्तीफा अस्वीकार किया था, लेकिन बाद में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इसे मंजूरी दे दी।
इस्तीफा देने के पीछे शिवदीप लांडे का कहना है कि अब वे जनता के बीच रहकर उनकी सेवा और अधिकारों की लड़ाई लड़ना चाहते हैं। उन्होंने पिछले कुछ महीनों में “रन फॉर सेल्फ” जैसे अभियान से युवाओं को जोड़कर अपनी छवि और समर्थन और मजबूत किया। इसके बाद अपनी पार्टी “हिन्द सेना” शुरू की, हालांकि उसे फिलहाल चुनाव आयोग से मान्यता नहीं मिल पाई। ऐसे में वे निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में सियासी रणभूमि में उतरेंगे।
जमालपुर व अररिया से भावनात्मक जुड़ाव
शिवदीप लांडे का जन्म महाराष्ट्र में 1976 को हुआ था लेकिन उनका पुलिस करियर बिहार, खासकर मुंगेर के जमालपुर और अररिया सदर में शानदार उपलब्धियों से भरा रहा है। प्रोबेशन के दौरान डीएसपी के रूप में जमालपुर में पोस्टिंग मिली। जहां उन्होंने नक्सली गतिविधियों, पत्थर चोरी रैकेट का खुलासा कर इलाके में अपनी छाप छोड़ी। नक्सलियों के खिलाफ कार्रवाई के दौरान वे खुद भी मुठभेड़ में बाल-बाल बचे थे।
पटना सिटी एसपी रहते नकली सौंदर्य प्रसाधनों और नकली दवाओं के बड़े गिरोह का भंडाफोड़ किया, जिसने उन्हें राज्य ही नहीं राष्ट्रीय स्तर की लोकप्रियता दिलाई। 2011 में अररिया एसपी बने। यहां उन्होंने कब्र से शव गायब होने, हाथी दांत तस्करी, और भारत-नेपाल सीमा पर स्मगलिंग, सामाजिक-आर्थिक अपराधों पर सख्त एक्शन लिया। अररिया के युवाओं और छात्राओं को अपना नंबर देकर सीधे संवाद बनाया। परिणामस्वरूप, जनता की ओर से मिली सूचना पर उन्होंने तेज व गंभीर कार्रवाइयाँ की। उनके ट्रांसफर के समय अररिया और फारबिसगंज में ऐतिहासिक विदाई समारोह हुआ, जिसमें हजारों लोगों की भीड़ जुटी थी।
भ्रष्टाचार और अपराध से समझौता नहीं
2015 में पटना सिटी एसपी बनने के बाद घूस लेते विभाग के ही एक इंस्पेक्टर को रंगे हाथ पकड़कर शिवदीप लांडे चर्चा में आ गए। रोहतास जिले में बुलडोजर से पत्थर माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई व अवैध क्रशर तोड़ देना आज भी कड़े प्रशासनिक फैसलों के उदाहरण के तौर पर गिना जाता है।
मुंबई में केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के दौरान उन्होंने बतौर डीसीपी (एंटी नारकोटिक्स सेल, क्राइम ब्रांच) बड़े माफियाओं के खिलाफ अभियान चलाया और कई गिरोहों का सफाया कराया।
क्या इसलिए राजनीति में आए लांडे?
लांडे ने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा कि “वर्दी में रहते हुए अपराध व भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ा, अब आमजन के लिए राजनीति में उतर रहा हूँ।”
उन्होंने कहा कि शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, रोजगार और गांवों के पलायन जैसे मुद्दे प्राथमिकता में रहेंगे। वे लोगों को भरोसा दिलाना चाहते हैं कि जो जमीनी लड़ाई वे वर्दी में रहते लड़ते रहे, वही जज़्बा सियासत में भी कायम रहेगा।
जनसमर्थन, फैन फॉलोइंग और नई उम्मीद
शिवदीप लांडे का बिहार में युवाओं, छात्रों और महिलाओं के बीच जबरदस्त फैन फॉलोइंग है। सोशल मीडिया पर लाखों प्रशंसकों के साथ आज भी लोग उनके कामकाज और निर्भीकता के उदाहरण देते हैं।
उनकी जनसंपर्क शैली, भ्रष्टाचार व अपराध के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति और ‘इंसाफ के लिए तत्पर’ छवि ने उन्हें पुलिस महकमे से लेकर आम जनता तक लोकप्रिय बना दिया है।

