India News: ‘ऑपरेशन सिंदूर’ से जुड़े एक वीडियो के चलते गिरफ्तार हुई लॉ स्टूडेंट और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर शर्मिष्ठा पानोली के मामले में कोलकाता पुलिस पर भेदभावपूर्ण कार्रवाई के आरोप लग रहे हैं। जिस वजाहत खान की शिकायत पर शर्मिष्ठा को गिरफ्तार किया गया, उसी के खिलाफ सोशल मीडिया पर हिंदू विरोधी और भड़काऊ पोस्ट करने के कई आरोप पहले से दर्ज हैं, लेकिन उसके खिलाफ कोई कठोर कार्रवाई नहीं हुई है।
कर चुका है सैकड़ों हिंदू विरोधी भड़काऊ पोस्ट, शिकायतें भी हैं दर्ज, पुलिस ने कभी सख्त कार्रवाई नहीं की
सूत्रों के अनुसार, वजाहत खान पर अब तक कम से कम सात शिकायतें दर्ज हो चुकी हैं। ये शिकायतें लालबाजार स्थित साइबर सेल और शहर के विभिन्न थानों में दी गई हैं। इन शिकायतों में खान पर धार्मिक भावनाएं भड़काने, हिंदू देवी-देवताओं का अपमान करने और धार्मिक परंपराओं का मज़ाक उड़ाने जैसे गंभीर आरोप लगे हैं। शिकायतकर्ताओं ने वजाहत की पोस्ट्स के स्क्रीनशॉट भी पुलिस को सौंपे हैं।
शिकायतकर्ता प्रसून मैत्रा, जो एक एनजीओ चलाते हैं, ने कहा, “जब एक लॉ स्टूडेंट के खिलाफ इतनी जल्दी कार्रवाई हो सकती है, तो एक लगातार आपत्तिजनक पोस्ट करने वाले के खिलाफ अब तक कोई ठोस कदम क्यों नहीं उठाया गया?” उन्होंने इस मामले में पुलिस की निष्क्रियता पर गंभीर सवाल उठाए।
गौरतलब है कि 22 वर्षीय शर्मिष्ठा पानोली को 30 मई को गुरुग्राम से गिरफ्तार किया गया था। आरोप है कि उन्होंने एक वीडियो में मुस्लिम कलाकारों की चुप्पी पर सवाल उठाए और कथित रूप से सांप्रदायिक भाषा का इस्तेमाल किया। हालांकि उन्होंने 15 मई को वीडियो डिलीट कर माफी मांग ली थी, बावजूद इसके उनके खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 299 के तहत मामला दर्ज कर उन्हें 13 जून तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है।
अब शर्मिष्ठा के वकील ने जेल की अस्वच्छ स्थितियों और खराब स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर कोर्ट में याचिका भी दाखिल की है।
वहीं दूसरी ओर, वजाहत खान के खिलाफ दिल्ली, गुवाहाटी और अन्य शहरों में भी चार आपराधिक शिकायतें दर्ज की गई हैं। इन शिकायतों में सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने और सांप्रदायिक तनाव फैलाने का आरोप है। खास बात यह है कि पानोली की गिरफ्तारी के बाद वजाहत ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स को लॉक कर दिया है और कई पुराने पोस्ट डिलीट कर दिए हैं।
बताया जा रहा है कि वजाहत खान सेंट थॉमस स्कूल कोलकाता के छात्र रह चुके हैं और ‘रशीदी फाउंडेशन’ के सह-संस्थापक भी हैं। उनके पुराने पोस्टों में हिंदू त्योहारों, मंदिरों और धार्मिक प्रतीकों का मज़ाक उड़ाने की बातें सामने आई हैं।
अब सवाल उठ रहे हैं कि जब एक वायरल वीडियो पर त्वरित कार्रवाई की जा सकती है, तो लगातार आपत्तिजनक पोस्ट करने वाले व्यक्ति के खिलाफ इतनी ढिलाई क्यों? इस संबंध में कोलकाता पुलिस के अधिकारियों से संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन किसी ने भी जवाब नहीं दिया।

