India News: पहलगाम हमले के 15 दिन बाद भारत ने पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) में स्थित नौ आतंकी ठिकानों पर जोरदार एयरस्ट्राइक कर जवाबी कार्रवाई की है। इस हमले में भारतीय वायुसेना के अत्याधुनिक राफेल फाइटर जेट का इस्तेमाल किया गया, जिनसे फ्रांस निर्मित स्कैल्प और हैमर मिसाइलें दागी गईं। यह हमला 7 मई को रात करीब 1:45 बजे किया गया, जिसे ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नाम दिया गया।
राफेल फाइटर जेट को तीन प्रमुख मिसाइल सिस्टम—मीटियोर, स्कैल्प और हैमर से लैस किया जा सकता है। इस हमले में मुख्य रूप से स्कैल्प और हैमर मिसाइल का इस्तेमाल हुआ। हैमर (HAMMER) यानी हाइली एजाइल एंड मैनोवरेबल म्यूनिशन एक्सटेंडेड रेंज मिसाइल एक हवा से जमीन पर मार करने वाली मिसाइल है। यह 60 से 70 किलोमीटर की दूरी तक लक्ष्य को निशाना बना सकती है, और खास बात यह है कि यह जीपीएस सिस्टम के बिना भी काम कर सकती है।
हैमर मिसाइल का वजन करीब 340 किलो होता है और इसकी लंबाई लगभग 10.2 फीट होती है। इसके आगे के हिस्से में एडवांस्ड नेविगेशन और गाइडेंस सिस्टम लगाया गया है, जिससे यह हर मौसम में सटीक लक्ष्य भेद सकती है। पहले भारत ने राफेल विमानों को इजराइली स्पाइस-2000 बम से लैस किया था, लेकिन बाद में फ्रांस से हैमर सिस्टम्स के लिए भी समझौता किया गया। यह समझौता सितंबर 2020 में भारत और फ्रांस के बीच हुआ था।
इसके अलावा राफेल में लगी स्कैल्प मिसाइल भारत की एयरस्ट्राइक की ताकत को और भी घातक बना देती है। स्कैल्प मिसाइल की मारक क्षमता 300 किलोमीटर तक है। यह गाइडेड मिसाइल 450 किलो का वारहेड ले जाने में सक्षम है और इसका प्रयोग कमांड सेंटर, एयरबेस, पावर स्टेशन, हथियार डिपो और अन्य सामरिक ठिकानों को निशाना बनाने के लिए किया जाता है।
स्कैल्प मिसाइल की तकनीक ऐसी है कि यह राडार और जैमिंग सिस्टम से बचकर बेहद कम ऊंचाई (100 से 130 फीट) पर उड़ते हुए लक्ष्य तक पहुंचती है और फिर आखिरी क्षण में 6,000 मीटर की ऊंचाई तक जाकर दुश्मन पर हमला करती है। इस वजह से पाकिस्तान की सुरक्षा व्यवस्था इस हमले से पूरी तरह चकमा खा गई।
इस एयर स्ट्राइक ने यह साबित कर दिया कि भारत अब सिर्फ धमकी नहीं देता, बल्कि जरूरत पड़ने पर कठोर जवाब भी देता है। राफेल और इसके साथ जुड़ी मिसाइल प्रणालियों ने एक बार फिर भारतीय वायुसेना की मारक क्षमता का परिचय दिया है।