Jamshedpur News: जमशेदपुर पश्चिमी के विधायक सरयू राय ने सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सारंडा के 314.68 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को वन्यजीव सैंक्चुअरी (अभयारण्य) घोषित करने के आदेश को लेकर प्रसन्नता जताई है। उन्होंने कहा कि यह मांग वे पिछले पांच वर्षों से लगातार रखते आ रहे थे, लेकिन सरकार हीला-हवाली कर रही थी।
सरयू राय ने बयान में बताया कि जब झारखंड सरकार के वन विभाग ने जून 2025 में सर्वोच्च न्यायालय में शपथ पत्र देकर कहा कि सरकार 557 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में सैंक्चुअरी बनाएगी, तब बीच में दुविधा उत्पन्न हुई थी। जबकि 1968 में तत्कालीन बिहार सरकार ने अधिसूचना संख्या 1168एफ के तहत लगभग 314 वर्ग किमी क्षेत्र को सैंक्चुअरी घोषित किया था और इसका उल्लेख सारंडा के 20 वर्षीय वर्किंग प्लान (1976-96) में भी किया गया था।
सरयू राय ने बताया कि उन्होंने झारखंड विधानसभा में सरकार से स्पष्ट जवाब मांगा था, लेकिन सरकार ने अधिसूचना की प्रति उपलब्ध नहीं होने का हवाला देकर मामला टाल दिया। बाद में वन्यजीव विशेषज्ञ डॉ. आर के सिंह ने वर्ष 2022 में एनजीटी में मुकदमा दायर किया। एनजीटी के आदेश को भी सरकार ने लागू नहीं किया, तो पलामू के प्रोफेसर (डॉ.) डीएस श्रीवास्तव सुप्रीम कोर्ट पहुंचे। अंततः सर्वोच्च न्यायालय ने गत बुधवार को आदेश दिया कि झारखंड सरकार एक सप्ताह के भीतर सारंडा के लगभग 314 वर्ग किमी भूभाग को वन्यजीव सैंक्चुअरी घोषित करे और इसका अनुपालन रिपोर्ट कोर्ट में पेश करे।
विधायक राय ने सरकार से अपील की कि अब कोई टालमटोल या हीला-हवाली न करते हुए सुप्रीम कोर्ट के आदेश का शीघ्र क्रियान्वयन सुनिश्चित करे, ताकि सारंडा की जैव विविधता और वन्यजीव संरक्षण को मजबूती मिल सके।
सरयू राय ने सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय को वन संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण उपलब्धि बताते हुए उम्मीद जताई कि झारखंड सरकार अब अदालत के स्पष्ट आदेश का पालन करेगी और सारंडा को शीघ्र सैंक्चुअरी घोषित करेगी।

