Ranchi : झारखंड छात्र संघ के अध्यक्ष एस. अली ने राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखकर कहा है कि शिक्षा विभाग द्वारा मदरसा आलिम एवं फाजिल डिग्री की मान्यता समाप्त करने के प्रयास से लाखों छात्रों के सरकारी नौकरी और शिक्षा पाने के अधिकार पर संकट उत्पन्न हो सकता है।
एस. अली ने पत्र में बताया कि संयुक्त बिहार के समय से लेकर झारखंड अलग राज्य बनने के बाद भी, झारखंड एकेडमिक काउंसिल (JAC) राज्य के मान्यता प्राप्त मदरसों में पढ़ने वाले छात्रों की आलिम और फाजिल कोर्स की परीक्षा का आयोजन नियमित रूप से करता रहा है। वर्ष 2023 तक यह परीक्षा संचालित हुई। आलिम डिग्री को स्नातक (B.A.) और फाजिल डिग्री को स्नातकोत्तर (M.A.) के समकक्ष सरकारी अधिसूचना के माध्यम से अधिसूचित किया गया था।
उन्होंने आगे कहा कि वर्ष 2023 में झारखंड कर्मचारी चयन आयोग द्वारा आयोजित सहायक आचार्य (भाषा विषय) की नियुक्ति परीक्षा में वर्ष 2016 में टेट उत्तीर्ण आलिम डिग्री वाले कैंडिडेट्स शामिल हुए। डॉक्यूमेंट वेरीफिकेशन भी किया गया, लेकिन अबतक फाइनल रिजल्ट जारी नहीं हुआ है।
छात्र संघ का कहना है कि शिक्षा विभाग और JAC द्वारा दी गई आलिम-फाजिल डिग्री को सुप्रीम कोर्ट के उत्तर प्रदेश मदरसा बोर्ड से जुड़े निर्णय (05 नवम्बर 2024) के आधार पर असंवैधानिक मानना गलत है। सुप्रीम कोर्ट ने केवल उत्तर प्रदेश मदरसा बोर्ड की डिग्री को प्रभावित किया है, झारखंड या बिहार की मान्यता प्राप्त डिग्री को नहीं।
एस. अली ने चेताया कि यदि मान्यता समाप्त की गई तो हजारों उम्मीदवारों के सरकारी नौकरी और शैक्षणिक अवसर प्रभावित होंगे। उन्होंने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि शिक्षा विभाग के इस निर्णय में हस्तक्षेप कर झारखंड की आलिम-फाजिल डिग्री को वैध और मान्यता प्राप्त बनाए रखा जाए।
पत्र में यह भी कहा गया कि संविधान के अनुच्छेद 245 के तहत राज्य सरकार समवर्ती सूची में शामिल शिक्षा के लिए कानून बना सकती है। इस आधार पर वर्ष 2024 के सुप्रीम कोर्ट आदेश को पूर्व में दी गई डिग्री पर लागू करना उचित नहीं होगा। छात्र संघ ने मुख्यमंत्री से शीघ्र हस्तक्षेप कर छात्रों के अधिकार की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की है।

