रांची। NSUI प्रदेश उपाध्यक्ष अमन अहमद ने कहा है कि रांची विश्वविद्यालय में शिक्षकों की कमी को देखते हुए कुलपति डॉ. अजीत कुमार सिन्हा रिसर्च स्कॉलर को पढ़ाने की जिम्मेदारी देने पर विचार कर रहे हैं, जो उच्च शिक्षा की गुणवत्ता के लिए घातक है। वहीं, दूसरी ओर UGC, JPSC एवं विश्वविद्यालय अधिनियम में भी यह प्रावधान नहीं है कि आप रिसर्च स्कॉलर को परमानेंट फैकल्टी की जगह कार्यभार सौंप दें। दूसरी ओर नियमित शिक्षक का कार्यभार पहले से इतना ज्यादा है कि उसके बाद उन पर अतिरिक्त भार देना कहीं से भी उचित नहीं है। वे स्वयं कार्य नहीं कर पाएंगे बल्कि इस कार्य के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति होगी। इसलिए यदि रांची विश्वविद्यालय इस तरह का निर्णय लेती है, तो संगठन द्वारा इसका जोरदार विरोध किया जाएगा। विश्वविद्यालय शिक्षकों की कमी का रोना रो रही है जबकि गत कई वर्षों से अतिथि शिक्षकों ने इस कार्यभार को बखूबी संभाला है। बावजूद उन्हें भी कार्य करने से रोक दिया गया है। इससे स्पष्ट होता है कि विश्वविद्यालय को शिक्षा से कोई वास्ता नहीं रह गया है। कुलपति सिर्फ राजनीति कर रहे हैं। उनका कार्यकाल महज चंद दिनों का है इसलिए वे विश्वविद्यालय में समस्याएं खड़ी कर और चीजों को उलझा कर जाना चाहते हैं। संगठन उन्हें ऐसा नहीं करने देगी। छात्रहित में जो भी न्यायसंगत कदम होगा संगठन उठाएगी। श्री अहमद ने कहा जब तक JPSC द्वारा स्थाई बहाली नहीं हो जाती, तब तक अस्थायी तौर पर अतिथि शिक्षकों की सेवा ली जाए लेकिन इसमें भी भाई-भतीजावाद को दरकिनार करना होगा।
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