India News: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को पुलिस स्मृति दिवस के अवसर पर विभिन्न पुलिस बलों के शहीद जवानों को नमन किया और कहा कि जिन इलाकों में कभी नक्सल आतंक का साया था, आज वहां तरक्की की नई सुबह हो चुकी है। उन्होंने कहा कि पहले जो क्षेत्र गोलियों की आवाज से गूँजते थे, अब वहां स्कूल, कॉलेज और अस्पतालों की घंटियां बजती हैं।
राजनाथ सिंह ने कहा कि छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और महाराष्ट्र के कई जिले कभी नक्सली आतंक से प्रभावित थे। तब गांवों में न स्कूल थे, न सड़कें। लेकिन अब वही क्षेत्र शिक्षा और विकास के केंद्र बन रहे हैं। उन्होंने कहा, “आज बच्चे मोबाइल और कंप्यूटर चला रहे हैं, बड़े सपने देख रहे हैं। जो रेड कॉरिडोर कहलाता था, आज ग्रोथ कॉरिडोर बन गया है।”
पुलिस और सुरक्षा बलों को दी सराहना
रक्षामंत्री ने कहा कि इन बदलावों के पीछे सबसे बड़ी भूमिका हमारे पुलिस बलों और सुरक्षाबलों की है, जिन्होंने जान जोखिम में डालकर नक्सलवाद के खिलाफ निर्णायक लड़ाई लड़ी। उन्होंने कहा, “अगर आज लोग रात में चैन से सोते हैं, तो इसलिए कि उन्हें भरोसा है—सीमा पर हमारी सेना है और मोहल्लों में हमारी पुलिस।” यह विश्वास ही राष्ट्र की स्थिरता का आधार है।
उन्होंने कहा कि सेना और पुलिस दोनों देश की सुरक्षा के दो मजबूत स्तंभ हैं। अंतर केवल मंच का है, उद्देश्य एक ही है—राष्ट्र की रक्षा।
आधुनिक पुलिसिंग और नए संसाधन
राजनाथ सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने पुलिस बलों के आधुनिकीकरण पर विशेष ध्यान दिया है। 2018 में पुलिस कर्मियों की स्मृति में ‘नेशनल पुलिस मेमोरियल’ का निर्माण किया गया। अब पुलिस के पास आधुनिक सर्विलांस सिस्टम, ड्रोन, फॉरेंसिक लैब्स और डिजिटल पुलिसिंग जैसी तकनीक उपलब्ध है।
उन्होंने कहा कि आज जब चुनौतियां लगातार बढ़ रही हैं, तब हमारे सीमित संसाधनों का अधिकतम उपयोग जरूरी है। सुरक्षा एजेंसियों के बीच बेहतर तालमेल और तकनीकी क्षमता ही एक सशक्त और सुरक्षित भारत की गारंटी है।
रक्षामंत्री ने कहा, “सशक्त पुलिस ही सशक्त राष्ट्र का निर्माण कर सकती है, और यही हमारा लक्ष्य होना चाहिए।” उनका यह वक्तव्य पुलिस बलों की कार्यकुशलता, त्याग और समर्पण के प्रति सम्मान का प्रतीक बना।

