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Gumla News: “अपनी जड़ों को कभी न भूलें, लेकिन आधुनिक शिक्षा और विज्ञान के पंख लगाकर आसमान छुएं।” यह आह्वान देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंगलवार को गुमला के रायडीह प्रखंड में आयोजित अंतरराज्यीय जन-सांस्कृतिक समागम ‘कार्तिक जतरा’ के दौरान किया। महान जनजातीय नायक पंखराज साहेब कार्तिक उरांव की स्मृति में आयोजित इस भव्य कार्यक्रम में राष्ट्रपति ने जनजातीय समाज की अस्मिता, शिक्षा और विरासत को संरक्षित रखने का मंत्र दिया।
कार्तिक उरांव के सपनों का विश्वविद्यालय होगा साकार
राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में कार्तिक उरांव को याद करते हुए उन्हें प्रेरणापुंज बताया। उन्होंने कहा कि विदेश में उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बावजूद कार्तिक साहेब ने अपनी माटी और लोगों के लिए जीवन समर्पित कर दिया। राष्ट्रपति ने एक बड़ी घोषणा करते हुए कहा कि गुमला जिले में विश्वविद्यालय की स्थापना का कार्तिक उरांव का सपना जल्द ही साकार किया जाएगा। उन्होंने गुमला की धरती को नमन करते हुए यहाँ जतरा टाना भगत के अहिंसक आंदोलन और परमवीर चक्र विजेता शहीद अल्बर्ट एक्का की वीरता को भी श्रद्धापूर्वक याद किया।
सांस्कृतिक महाकुंभ में तीन राज्यों के मुख्यमंत्री रहे मौजूद
गुमला के मांझाटोली में आयोजित इस कार्यक्रम में राष्ट्रपति के साथ मंच पर झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी भी मौजूद रहे। यह समागम न केवल झारखंड, बल्कि पड़ोसी राज्यों छत्तीसगढ़ और ओडिशा की साझा संस्कृति का प्रतीक बना। राष्ट्रपति ने जनजातीय संगीत और नृत्य कला की सराहना करते हुए कहा कि देशभर के 100 से अधिक आदिवासी कलाकारों को पद्मश्री मिलना इस समाज की सांस्कृतिक समृद्धि का प्रमाण है।
तीर्थ यात्रा जैसा अनुभव और युवाओं को संदेश
राष्ट्रपति ने कहा कि भगवान बिरसा मुंडा की इस कर्मभूमि पर आकर उन्हें तीर्थ यात्रा जैसा अनुभव होता है। उन्होंने विशेष रूप से युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कि शिक्षा ही विकास की सबसे बड़ी पूंजी है। कार्यक्रम के दौरान विभिन्न राज्यों से आई नृत्य मंडलियों ने रंगारंग प्रस्तुति दी, जिससे पूरा गुमला क्षेत्र उत्सव के रंग में सराबोर नजर आया। इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री जुएल उरांव, फगन सिंह कुलस्ते और राज्यपाल संतोष गंगवार सहित कई गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे।
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