Ranchi News: महिला स्वावलंबन और ग्रामीण आजीविका को लेकर रांची जिले के बेड़ो प्रखंड अंतर्गत जरिया पंचायत में एक विशेष संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम की मुख्य अतिथि थीं श्रीमती राजेश्वरी एम. एस., निदेशक, ग्रामीण विकास मंत्रालय, भारत सरकार। उन्होंने “पलाश उत्तम कृषि प्रसंस्करण इकाई सह जरिया आजीविका महिला संकुल स्तरीय प्राथमिक स्वावलंबी सहकारी समिति लिमिटेड” की सदस्याओं से संवाद किया और उनके कार्यों की सराहना की।
कार्यक्रम का आयोजन जरिया के कतर्माली गांव स्थित एग्रो प्रोसेसिंग सेंटर में किया गया, जहाँ निदेशक ने स्वयं पहुंचकर यूनिट का निरीक्षण किया। यहां उपस्थित दीदियों ने आत्मविश्वास के साथ एग्रो प्रोसेसिंग यूनिट की स्थापना से लेकर अब तक की यात्रा साझा की। उन्होंने बताया कि वे अब तक ₹14 लाख रुपये का व्यवसाय कर चुकी हैं, जो महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि है।
संवाद में दीदियों की भागीदारी और अनुभव
कार्यक्रम में आजीविका कृषक सखी, पशु सखी, नवजीवन सखी, एस.डी. सीआरपी और उत्तम दीदियों ने हिस्सा लिया और अपने-अपने कार्य क्षेत्रों में किए गए प्रयासों की जानकारी दी। दीदियों ने बताया कि किस प्रकार से कृषि, पशुपालन, खाद्य प्रसंस्करण और स्वास्थ्य संबंधी गतिविधियों के माध्यम से वे न केवल अपने परिवार की आय बढ़ा रही हैं, बल्कि समुदाय में भी प्रेरणा का स्रोत बनी हुई हैं।
श्रीमती राजेश्वरी एम.एस. ने इन महिलाओं के कार्यों की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह यूनिट ग्रामीण क्षेत्र में महिलाओं की आर्थिक आत्मनिर्भरता का बेहतरीन उदाहरण है। उन्होंने यह भी कहा कि इन महिलाओं द्वारा संचालित व्यवसाय मॉडल को अन्य जिलों में भी अपनाया जा सकता है।
सहभागी अधिकारी और संस्थाएँ
इस संवाद कार्यक्रम में विभिन्न विभागों और संस्थाओं के अधिकारी भी उपस्थित रहे।
इनमें प्रमुख रूप से:
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संजय भगत, पीएम लाइवलीहुड
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खालिद हुसैन, पीएम वैल्यू चेन
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डीपीएम श्री निशिकांत नीरज
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डीपीसी जिका श्री अभिषेक चंद
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डीएम एसएमआईबी श्री देबाशीष चाकी
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इमैगो टीम
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समस्त बीयूएमएमयू बेड़ो टीम शामिल थे।
इन अधिकारियों ने भी दीदियों के कार्यों को सराहा और उन्हें तकनीकी और प्रशासनिक सहयोग देने की प्रतिबद्धता जताई।
महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक ठोस कदम
पलाश एग्रो प्रोसेसिंग यूनिट की सफलता यह दिखाती है कि जब महिलाओं को संसाधन, प्रशिक्षण और प्रोत्साहन मिलता है, तो वे किस प्रकार आर्थिक रूप से सशक्त बन सकती हैं। यह मॉडल आजीविका को आत्मनिर्भरता से जोड़ता है और ग्रामीण विकास में महिलाओं की सक्रिय भागीदारी को प्रोत्साहित करता है।
निदेशक ने दीदियों से यह भी कहा कि वे अपने अनुभवों को अन्य समूहों के साथ साझा करें ताकि और महिलाएं इस मार्ग पर आगे बढ़ सकें। उन्होंने आने वाले समय में और यूनिट्स की स्थापना और मार्केटिंग नेटवर्क को मजबूत करने पर भी ज़ोर दिया।
जरिया, बेड़ो की यह पहल न केवल स्थानीय विकास का प्रतीक बन रही है, बल्कि झारखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में महिला स्वावलंबन और सामाजिक सशक्तिकरण का आदर्श उदाहरण भी बन चुकी है।

