India News: अरुणाचल प्रदेश के ऊंचे पहाड़ी इलाकों में वन्यजीव सर्वेक्षण के दौरान एक बेहद खास झलक देखने को मिली है। कैमरा ट्रैप में पहली बार भारत की सबसे दुर्लभ बिल्लियों में से एक पलास बिल्ली की तस्वीर कैद हुई है। यह बिल्ली समुद्र तल से करीब 5000 मीटर की ऊंचाई पर रहती है और आमतौर पर मध्य एशियाई देशों जैसे मंगोलिया, चीन और रूस में पाई जाती है।
पलास बिल्ली की खासियत इसकी घनी और एकाकी भूरे रंग की फर है, जो इसे दूसरी जंगली बिल्लियों से अलग बनाती है। इसके चेहरे की बनावट और छोटे गोल कान इसे तुरंत पहचानने लायक बनाते हैं। यह एकाकी जीवन जीने वाली प्रजाति है और बहुत ही मुश्किल से दिखाई देती है।
डब्ल्यूडब्ल्यूएफ-इंडिया ने जुलाई से सितंबर 2024 के बीच पश्चिमी कामेंग और तवांग जिलों में 2000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में 83 स्थानों पर 136 कैमरा ट्रैप लगाए। इसी दौरान पलास बिल्ली के साथ कई और दुर्लभ प्रजातियां भी नजर आईं। इनमें हिम तेंदुआ, सामान्य तेंदुआ, धूमिल तेंदुआ, तेंदुआ बिल्ली और संगमरमरी बिल्ली शामिल हैं।
सर्वेक्षण ने कई नए रिकॉर्ड भी बनाए। सामान्य तेंदुआ 4600 मीटर की ऊंचाई पर, धूमिल तेंदुआ 4650 मीटर पर, संगमरमर बिल्ली 4326 मीटर पर, हिमालयन वुड उल्लू 4194 मीटर पर और ग्रे-हेडेड फ्लाइंग गिलहरी 4506 मीटर पर देखी गई। ये सभी रिकॉर्ड भारत में अब तक दर्ज की गई सबसे ऊंची मौजूदगी हैं और कई मामलों में वैश्विक स्तर पर भी नए कीर्तिमान बना सकते हैं।
दिलचस्प बात यह रही कि कैमरे ने एक ही स्थान पर हिम तेंदुए और सामान्य तेंदुए को गंध-चिह्न लगाते हुए कैद किया। इससे यह संकेत मिलता है कि ये बड़ी बिल्लियां ऊंचे और नाजुक अल्पाइन इलाकों को आपस में साझा करती हैं।
सर्वेक्षण में ब्रोक्पा चरवाहा समुदाय और उनके मवेशियों की तस्वीरें भी मिलीं, जो सदियों से इन चरागाह इलाकों में वन्यजीव और इंसानों के सह-अस्तित्व की अनोखी कहानी बयान करती हैं।

