Ranchi News: झारखंड सरकार ने मरीजों के परिजनों की परेशानियों को देखते हुए एक अहम फैसला लिया है। अब राज्य के किसी भी अस्पताल को मृतक का शव रोकने की अनुमति नहीं होगी, चाहे इलाज का बिल बकाया ही क्यों न हो। स्वास्थ्य, चिकित्सा, शिक्षा एवं परिवार कल्याण विभाग ने इस संबंध में सख्त निर्देश जारी किए हैं।
संयुक्त सचिव विद्यानंद शर्मा पंकज ने सभी जिला उपायुक्तों और सिविल सर्जनों को पत्र भेजकर निर्देश दिया है कि अस्पतालों में मरीज की मृत्यु के बाद शव को बिल के कारण न रोका जाए। यह फैसला केंद्र सरकार की पहल पर लिया गया है और अब सभी सरकारी व निजी अस्पतालों को इसका पालन अनिवार्य रूप से करना होगा।
यह नियम ‘पेशेंट राइट्स एंड रेस्पांसिबिलिटी चार्टर’ के तहत लागू किया गया है, जिसे केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने स्वास्थ्य सेवाओं को पारदर्शी और मानवतावादी बनाने के उद्देश्य से पेश किया है।
नई गाइडलाइन के मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं:
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अस्पताल अब किसी भी परिस्थिति में शव को नहीं रोक सकते।
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मृतकों के शव को जल्द से जल्द और सम्मानपूर्वक परिजनों को सौंपना होगा।
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सभी अस्पतालों को अपने परिसर में ‘पेशेंट राइट्स एंड रेस्पांसिबिलिटी चार्टर’ को सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित करना होगा।
इस निर्णय का उद्देश्य अस्पतालों में मानवता का पालन सुनिश्चित करना और मरीजों के परिवारों को मानसिक, भावनात्मक व कानूनी तनाव से मुक्त कराना है। अब किसी दुःखी परिवार को अपने प्रियजन के अंतिम संस्कार के लिए लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा।