Ranchi News: झारखंड में आदिवासी मूलवासी जनाधिकार मंच के केंद्रीय उपाध्यक्ष विजय शंकर नायक ने सरकार पर बड़ा आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि पंचायत उपबंध अनुसूचित क्षेत्रों पर विस्तार अधिनियम (पेसा एक्ट 1996) को जानबूझकर लागू नहीं किया जा रहा है। नायक के अनुसार, यह देरी केवल आदिवासी समाज के अधिकारों की अनदेखी नहीं, बल्कि उनके अपमान के बराबर है।
बुधवार को जारी अपने बयान में नायक ने साफ कहा कि झारखंड में सरकार कॉरपोरेट हितों को बढ़ावा देने में लगी है और इसके लिए आदिवासियों के संसाधनों की खुली लूट की जा रही है। उन्होंने कहा कि पेसा कानून को लागू न करना न केवल आदिवासी संस्कृति और परंपरा को ठेस पहुंचाता है, बल्कि यह उच्च न्यायालय के आदेश की भी अवमानना है।
नायक ने यह भी कहा कि हाल ही में उच्च न्यायालय द्वारा बालू घाटों की नीलामी पर रोक लगाने का निर्णय स्वागत योग्य जरूर है, लेकिन इससे यह साफ होता है कि सरकार की मंशा पर गंभीर सवाल खड़े होते हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि अब आदिवासी समाज चुप नहीं बैठेगा। आने वाले समय में सड़क से लेकर हर मंच तक आंदोलन किया जाएगा और अधिकारों की लड़ाई लड़ी जाएगी।
उन्होंने उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से अपील की कि आदेश का पालन न करने वाले विभागीय अधिकारियों को जेल भेजा जाए। नायक का कहना है कि जब तक भ्रष्ट अधिकारी और पदाधिकारी जेल नहीं जाएंगे, तब तक सरकार पेसा कानून लागू करने के लिए मजबूर नहीं होगी।
इस बयान ने झारखंड की राजनीति में हलचल पैदा कर दी है और आदिवासी समाज में पेसा एक्ट लागू करने की मांग और भी जोर पकड़ने लगी है।

