Patna News: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का बिगुल बजने से पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य के युवाओं को साधने के लिए खजाना खोल दिया है। सरकार ने कैबिनेट से मंजूरी पाकर दर्जन भर से ज्यादा फैसले लिए हैं, जिनका सीधा संबंध नौकरी, रोजगार और भत्तों से है। बिहार में 60 प्रतिशत से ज्यादा युवा आबादी है, ऐसे में चुनावी समीकरण को देखते हुए यह कदम बेहद अहम माना जा रहा है।
चुनाव से पहले बिहार के युवाओं को बड़ा तोहफा
बीते दो महीनों में नीतीश कुमार ने लगातार कई नई योजनाओं और नीतियों की घोषणा की है। इनमें सबसे बड़ी घोषणा है अगले पांच साल में एक करोड़ नौकरी और रोजगार उपलब्ध कराने का वादा। इसके लिए कैबिनेट ने एक हाई लेवल कमेटी बनाने की मंजूरी भी दे दी है।
सरकार ने खोला खजाना
स्नातक पास युवाओं को नौकरी खोजने के दौरान आर्थिक दिक्कत न हो, इसके लिए सरकार ने दो साल तक हर महीने 1000 रुपये स्वयं सहायता भत्ता देने का फैसला किया है। वहीं, स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए हर परिवार की एक महिला को 2 लाख 10 हजार रुपये तक की सहायता राशि देने की योजना भी लाई गई है।
सरकार ने प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले युवाओं के लिए भी राहत दी है। अब सभी सरकारी नौकरियों की प्रारंभिक परीक्षा का शुल्क केवल 100 रुपये होगा और मुख्य परीक्षा पूरी तरह निशुल्क होगी। इतना ही नहीं, टीआरई-4 शिक्षक भर्ती परीक्षा में पहली बार डोमिसाइल नीति लागू की जाएगी।
नीतीश कुमार ने साधा सबसे बड़ा वर्ग
युवाओं के कौशल विकास के लिए सरकार ने कर्पूरी ठाकुर कौशल विश्वविद्यालय की स्थापना का निर्णय लिया है। वहीं, गरीब परिवारों को स्वरोजगार शुरू करने में मदद देने के लिए “बिहार लघु उद्यमी योजना” के तहत 2 लाख रुपये तक की आर्थिक सहायता दी जाएगी।
महिलाओं के लिए विशेष कदम उठाते हुए सभी सरकारी नौकरियों में 35 प्रतिशत आरक्षण पर डोमिसाइल नीति लागू की जाएगी। इसके साथ ही “औद्योगिक विकास प्रोत्साहन पैकेज 2025” के तहत उद्योग लगाने वालों को मुफ्त जमीन और प्रोत्साहन राशि दी जाएगी।
सरकार की “मुख्यमंत्री प्रतिज्ञा योजना” भी युवाओं के लिए बड़ा आकर्षण बन सकती है। इसके तहत छात्रों और पासआउट युवाओं को इंटर्नशिप के लिए हर महीने 4000 से 6000 रुपये की राशि दी जाएगी। वहीं, स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना को और आसान बनाते हुए इसमें ब्याज मुक्त ऋण उपलब्ध कराया जाएगा।
बंद पड़े उद्योगों को फिर से चालू करने के लिए “बिहार एमनेस्टी पॉलिसी 2025” लाई गई है, जिसमें उद्योगपतियों को रियायत और मदद दी जाएगी। साथ ही, नई नौकरियों के लिए नियमित परीक्षा चयन आयोग के माध्यम से होगी, ताकि भर्ती प्रक्रिया पारदर्शी बने।
युवाओं की बदलती जरूरतों को देखते हुए “बिहार प्लेटफार्म आधारित गिग कामगार अधिनियम 2025” भी लाया गया है। इसके जरिए फ्रीलांस और गिग वर्क करने वाले युवाओं को भी कानूनी संरक्षण और सुविधाएं मिलेंगी। वहीं, स्थानीय युवाओं को प्राथमिकता देने और उनके विकास के लिए “बिहार युवा आयोग” का गठन किया जाएगा।
अगर चुनाव आयोग के आंकड़ों पर नजर डालें तो बिहार की राजनीति में युवाओं की अहमियत साफ झलकती है। राज्य में 20 से 29 वर्ष आयु वर्ग के युवा वोटर की संख्या 1 करोड़ 55 लाख से ज्यादा है, जबकि 30 से 39 वर्ष के वोटर 2 करोड़ 4 लाख से ज्यादा हैं। इस बार करीब 10 लाख नए वोटर भी जुड़ने जा रहे हैं।
5.50 करोड़ वोटरों में 60% युवा
यानी, 18 से 40 वर्ष की उम्र तक के वोटरों की कुल संख्या 3 करोड़ 70 लाख के करीब हो जाएगी। अगर इसमें 40 से 49 वर्ष की उम्र वाले 1 करोड़ 69 लाख वोटरों को भी जोड़ लें, तो कुल मिलाकर बिहार में 50 वर्ष से कम उम्र के वोटरों की आबादी करीब 5.50 करोड़ तक पहुंच जाती है।
यही कारण है कि नीतीश कुमार ने चुनाव से पहले सबसे बड़े वोटर वर्ग यानी युवाओं पर दांव खेला है। अब देखना दिलचस्प होगा कि क्या ये योजनाएं और फैसले चुनावी नतीजों में कितना असर दिखाते हैं।

