Bokaro News: भारत के गाँवों में कुपोषण आज भी एक गंभीर समस्या बनी हुई है। इसे खत्म करने के लिए कई योजनाएँ और कार्यक्रम चलाए जाते रहे हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर प्रयासों की सबसे अहम कड़ी बनकर वेदांता की पहल नंद घर सामने आई है। अनिल अग्रवाल फाउंडेशन के अंतर्गत चल रहा यह कार्यक्रम अब एक जनांदोलन का रूप ले चुका है। इसी कड़ी में नंद घर ने पोषण माह 2025 की शुरुआत की है, जिसमें 15 राज्यों के 3.5 लाख से अधिक परिवार शामिल हो रहे हैं।
ग्रामीण भारत तक पहुँचेगी पहल
इस बार अभियान का थीम “पोषण से प्रगति” रखा गया है। इसका उद्देश्य न सिर्फ बच्चों और माताओं को सही आहार उपलब्ध कराना है, बल्कि परिवारों को जागरूक कर उन्हें बेहतर और सतत जीवनशैली अपनाने के लिए प्रेरित करना भी है। नंद घर ने इस अभियान को महिला एवं बाल विकास विभाग के सहयोग से शुरू किया है ताकि इसे और व्यापक बनाया जा सके।
पोषण रणनीति के तीन स्तंभ
नंद घर की पूरी रणनीति तीन बड़े स्तंभों पर आधारित है।
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प्रत्यक्ष पोषण सहायता: बच्चों और माताओं को फोर्टिफाइड न्यूट्री बार्स, प्रोटीन शेक और अन्य पौष्टिक सप्लीमेंट्स उपलब्ध कराए जाते हैं। इससे बच्चों को जीवन की स्वस्थ शुरुआत मिलती है।
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सामुदायिक जागरूकता: गाँवों में अभिभावकों के लिए प्रशिक्षण और परामर्श कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। बच्चों की वृद्धि की निगरानी के साथ-साथ उन्हें सिखाया जाता है कि स्थानीय सामग्री से भी पौष्टिक आहार बनाया जा सकता है।
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प्रौद्योगिकी एकीकरण: आधुनिक तकनीक और साझेदारियों की मदद से बच्चों के स्वास्थ्य की जानकारी रिकॉर्ड की जाती है। इससे समय पर हस्तक्षेप और पोषण सुधार संभव हो पाता है।
पोषण माह 2025 की खास बातें
इस साल 12 सितंबर से शुरू हुए पोषण माह के दौरान नंद घर देशभर में पोषण जागरूकता के जीवंत केंद्रों में बदल गए हैं। गाँव-गाँव में रेसिपी डेमोंस्ट्रेशन किए जाएंगे ताकि लोग कम लागत में उपलब्ध पोषक खाद्य पदार्थों का सही उपयोग करना सीख सकें।
इसके साथ ही अभिभावक प्रशिक्षण सत्र भी होंगे, जिनमें मातृ स्वास्थ्य, बच्चों के आहार और उनकी वृद्धि की निगरानी पर जोर दिया जाएगा। “पोषण भी, पढ़ाई भी” नामक उप-अभियान के तहत यह भी बताया जाएगा कि संतुलित आहार बच्चों की पढ़ाई और एकाग्रता पर कितना असर डालता है।
विशेषज्ञों और समुदाय की भागीदारी
अभियान को और असरदार बनाने के लिए नुक्कड़ नाटक, डिजिटल कैंपेन और वेबिनार भी आयोजित किए जाएंगे। इसमें विशेषज्ञ बच्चों के पोषण और माताओं के स्वास्थ्य पर उपयोगी जानकारी देंगे। इस अभियान से न सिर्फ ग्रामीण बल्कि शहरी इलाकों के लोग भी जुड़ रहे हैं।
सीईओ की टिप्पणी
नंद घर के सीईओ शशि अरोड़ा ने कहा कि,
“पोषण माह हमें याद दिलाता है कि भारत की प्रगति के लिए पोषण कितना महत्वपूर्ण है। हमारा संकल्प है कि हर ग्रामीण बच्चा और माँ सही पोषण और ज्ञान तक पहुँचे। 15 राज्यों की भागीदारी यह साबित करती है कि हम बदलाव की दिशा में ठोस कदम बढ़ा रहे हैं।”
चुनौती और उम्मीद
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS-5) के आँकड़े बताते हैं कि 6 वर्ष से कम उम्र के 37.5% बच्चे अविकसित हैं और आधी महिलाएँ एनीमिया की शिकार हैं। ऐसे में यह अभियान बेहद प्रासंगिक हो जाता है। नंद घर का मॉडल पहले ही ठोस परिणाम दिखा चुका है। बीते साल पोषण माह 2024 के दौरान 6 राज्यों में एक लाख से अधिक बाजरे के शेक बच्चों तक पहुँचाए गए थे। वहीं, राजस्थान में प्रोजेक्ट बालवर्धन से 80,000 से अधिक बच्चे और माताएँ लाभान्वित हुईं।
ईएसएल स्टील का समर्थन
ईएसएल स्टील लिमिटेड के डिप्टी सीईओ रविश शर्मा ने कहा,
“हमारा मानना है कि पोषण ही स्वस्थ समाज की नींव है। नंद घर की पहल ग्रामीण भारत को सही दिशा में ले जाने वाली बड़ी कोशिश है।”
नंद घर की पहुँच और भविष्य
वर्तमान में नंद घर 15 राज्यों में 9,000 से अधिक केंद्र चला रहा है और 3.6 लाख बच्चों व 2.7 लाख महिलाओं तक पहुँच बना चुका है। लक्ष्य है कि आने वाले समय में देश की 13.7 लाख आंगनवाड़ियों को आधुनिक बनाकर 7 करोड़ बच्चों और 2 करोड़ महिलाओं तक पहुँचा जाए।

