India News: मणिपुर में दो वर्षों से चल रही हिंसा और अस्थिरता के बीच एक दुर्लभ फूल ने शांति और सांप्रदायिक एकता की नई उम्मीद जगा दी है। मणिपुर की सिरुई पर्वतमाला पर खिलने वाला यह फूल — लिलियम मैकेनिक्स सिली — राज्य का राजकीय फूल है, जो केवल उखरुल जिले में ही उगता है। इस फूल के खिलने पर हर वर्ष सिरुई लिली महोत्सव मनाया जाता है।
इस वर्ष यह उत्सव 20 से 24 मई तक आयोजित किया जा रहा है, जिसमें मेतई और कुकी समुदायों के लोग भी शामिल हो रहे हैं। यह आयोजन न सिर्फ सांस्कृतिक महत्त्व रखता है, बल्कि मणिपुर में दो वर्षों से जारी हिंसा के बाद शांति की एक सकारात्मक पहल भी बन गया है।
सिरुई गांव, जहां यह फूल खिलता है, उखरुल जिले में स्थित है और इंफाल से 103 किलोमीटर दूर है। इंफाल मेतई बहुल इलाका है, जबकि इस मार्ग में कुकी बहुल बफर ज़ोन भी आता है। ऐसे में मेतई समुदाय के लोग जब इस उत्सव में भाग लेने निकलते हैं, तो उन्हें सुरक्षा की विशेष आवश्यकता होती है। इस बार सेना, BSF और पुलिस ने पूरे मार्ग पर छह सुरक्षा चौकियों की व्यवस्था की है।
कुकी समुदाय के स्थानीय संगठनों ने आश्वासन दिया है कि उत्सव के दौरान किसी भी प्रकार की हिंसा नहीं होगी। उन्होंने शांति और भाईचारे का संदेश देते हुए इस आयोजन में सहयोग देने का निर्णय लिया है।
राज्य प्रशासन और पर्यटन विभाग इस आयोजन को सफल बनाने में सक्रिय हैं। इस उत्सव पर कुल 6.5 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं। इसके तहत साहित्य, संस्कृति, सौंदर्य प्रतियोगिता और विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है।
गौरतलब है कि पिछले दो वर्षों से सिरुई लिली महोत्सव का आयोजन नहीं हो पा रहा था, क्योंकि राज्य में मेतई और कुकी समुदायों के बीच हिंसा जारी थी। लेकिन इस बार प्रशासन की देखरेख और दोनों समुदायों के आपसी सहयोग से यह आयोजन मुमकिन हो पाया है।
यह सिर्फ एक फूल का उत्सव नहीं, बल्कि मणिपुर के लिए एक नई शुरुआत और शांति का प्रतीक बन गया है।