Bihar News: बिहार के दरभंगा जिले की लौकहा विधानसभा सीट पर 2025 का चुनावी रण धीरे-धीरे तेज होता जा रहा है। अभी तक किसी दल ने आधिकारिक तौर पर उम्मीदवारों का ऐलान नहीं किया है, लेकिन चौक-चौराहों और गांव की चौपालों पर गहमागहमी बढ़ चुकी है। जनता की चर्चा में नाम, जातीय समीकरण और पुराने वादों का हिसाब-किताब सबसे बड़ा मुद्दा बन गया है।
राजद का दांव और अंदरूनी हलचल
मौजूदा विधायक भरत भूषण मंडल को राजद का सबसे मजबूत उम्मीदवार माना जा रहा है। लेकिन इस बार मैदान एकतरफा नहीं दिख रहा। पार्टी के भीतर रवि रंजन राजा का नाम भी जोर-शोर से उठ रहा है। उनकी सक्रियता ने मुकाबले को और दिलचस्प बना दिया है। मेराज आलम, रामलखन यादव और प्रशांत राम नारायण भी टिकट की रेस में हैं। राजद की रणनीति यादव-मुस्लिम समीकरण पर टिकी है, जो हमेशा से इसकी परंपरागत ताकत रही है।
जदयू और भाजपा का समीकरण
यह सीट भले ही परंपरागत रूप से जदयू के खाते में जाती रही हो, लेकिन भाजपा भी इसे हथियाने की कोशिश में है। जदयू से लक्ष्मेश्वर राय फिर से दावेदारी कर रहे हैं, लेकिन पिछली हार के कारण पार्टी नए चेहरे की तलाश में भी है। सतीश शाव का नाम भी चर्चा में है। दूसरी तरफ, भाजपा की ओर से दिनेश गुप्ता के नाम की चर्चा है, हालांकि सीट बंटवारे के लिहाज से यहां जदयू की दावेदारी भारी मानी जा रही है। फिर भी, भाजपा की स्थानीय सक्रियता चुनाव में वोटों की दिशा बदल सकती है।
जातीय गणित का तगड़ा खेल
लौकहा की राजनीति हमेशा जातीय समीकरण पर आधारित रही है। यहां यादव 30–32%, मुसलमान 25–27%, ब्राह्मण 10–12% और व्यापारी/ओबीसी/अन्य सवर्ण 20–25% के करीब हैं। यही वजह है कि राजद का भरोसा यादव-मुस्लिम गठजोड़ पर रहता है, जबकि एनडीए ब्राह्मण और व्यापारी वर्ग पर ज्यादा दांव लगाता है। यहां एक छोटी सी नाराज़गी या हल्का सा झुकाव भी पूरे चुनावी नतीजे को बदल सकता है।
जनता की तकलीफें ही असली मुद्दा
जातीय समीकरण से आगे बढ़ते हुए अब जनता अपने मुद्दों पर चुनाव चाहती है। लोहिया चौक का रोज़ का जाम, स्टेशन चौक की बुझी हाईमास्ट लाइट और खोपा चौक पर बढ़ते अपराध लोगों के गुस्से की वजह बने हुए हैं। किसान कहते हैं, “धान-पानी तो है, पर मंडी का ठिकाना नहीं।” वहीं युवा कहते हैं, “डिग्री है, पर नौकरी का निशान नहीं।” स्वास्थ्य और शिक्षा की बदहाली ने भी माहौल गरमा दिया है।
गांव-चौपाल की आवाज़
लौकहा के गांवों और चौपालों में इस बार जनता खुलकर बोल रही है।
किसान रामकृपाल कहते हैं – “लोहिया चौक का जाम रोज़ का सिरदर्द है, नेता आते हैं बस वादा कर चले जाते हैं।”
दुकानदार सलीम मियाँ कहते हैं – “स्टेशन चौक का हाईमास्ट लाइट तीन साल से बंद है, अंधेरा ही अंधेरा रहता है।”
छात्र शशि की शिकायत है – “खोपा चौक पर लुटेरे मोबाइल छीनते हैं और पुलिस बस फोटो खिंचवा लेती है।”

