Patna News: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राज्य की राजनीति में एक नया विवाद उभर आया है। बिहार राज्य किन्नर कल्याण बोर्ड के सदस्य राजन सिंह ट्रांसजेंडर ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए 100 करोड़ रुपये का कानूनी नोटिस जारी किया है। उन्होंने दावा किया है कि सरकार लगातार ट्रांसजेंडर समुदाय के साथ भेदभाव कर रही है और उन्हें न तो योजनाओं का लाभ मिल रहा है और न ही सामाजिक-राजनीतिक भागीदारी का अवसर।
राजन सिंह का कहना है कि बिहार सरकार ने किन्नर कल्याण बोर्ड का गठन तो कर दिया, लेकिन आज तक बोर्ड के लिए दफ्तर तक उपलब्ध नहीं कराया गया। “जब कार्यालय ही नहीं है तो यह बोर्ड काम कैसे करेगा? क्या यह सिर्फ़ कागजों तक सीमित रह जाएगा?” – उन्होंने सवाल उठाया।
उन्होंने सरकार पर यह भी आरोप लगाया कि महिलाओं और पुरुषों के लिए योजनाओं और चुनावी घोषणाओं की कोई कमी नहीं है, लेकिन ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए अब तक कोई ठोस योजना या पेंशन स्कीम शुरू नहीं की गई। उनका कहना है कि यह सीधा भेदभाव है, जो असंवैधानिक भी है।
राजन सिंह ने कहा कि बिहार में लाखों ट्रांसजेंडर रहते हैं, लेकिन चुनावी घोषणाओं और कल्याणकारी योजनाओं में उन्हें लगातार नजरअंदाज किया जा रहा है। “सरकार हमारी मौजूदगी को नज़रअंदाज़ कर रही है, जबकि हम समाज का एक अहम हिस्सा हैं। किन्नर समुदाय को शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के अवसर देने के बजाय हाशिए पर धकेला जा रहा है।”
उन्होंने स्पष्ट किया कि अगर सात दिनों के भीतर बिहार सरकार उनकी शिकायतों का जवाब नहीं देती, तो वे अदालत का दरवाज़ा खटखटाएंगे। राजन सिंह ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर किसी भी सरकारी विभाग ने आगे भी ट्रांसजेंडर समुदाय के साथ भेदभाव किया, तो उसके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
राजन सिंह ने कहा, “किन्नर कल्याण बोर्ड सिर्फ़ कागजों पर नहीं रहेगा। हम इसे ज़मीन पर उतारकर ही दम लेंगे। बिहार के लाखों ट्रांसजेंडरों को शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार में बराबरी का हक दिलाना ही हमारा लक्ष्य है।”
इस मामले ने बिहार की राजनीति में हलचल मचा दी है। चुनावी माहौल में ट्रांसजेंडर समुदाय का यह बड़ा कदम एनडीए और महागठबंधन, दोनों के लिए चुनौती बन सकता है। अब सबकी निगाहें इस पर हैं कि बिहार सरकार इस नोटिस का जवाब कैसे देती है।

