India News: भारत ने बाल विवाह रोकथाम में बड़ी उपलब्धि हासिल की है। 2023 से अब तक चार लाख बाल विवाह रोके गए। बाल विवाह निरोधक कानून बनने के बाद यह सबसे बड़ी संख्या है।
बाल विवाह में 69% की गिरावट, बड़ी सामाजिक सफलता
तीन सालों में बाल विवाह 69 फीसदी घटे हैं। यूएन की एक रिपोर्ट में ये दावा किया गया है। 2023 में संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने कहा था कि इस रफ्तार से यह कुरीति खत्म करने में 300 साल लग जाएंगे। दुनिया के एक तिहाई बाल विवाह भारत में होते हैं।
शिकायत करने वाले बढ़े, जागरूकता फैली
रिपोर्ट में बताया गया है कि वर्तमान में लगभग 96% लोग बाल विवाह की शिकायत करने में सहज हैं। इनमें 63% लोग अत्यधिक सहजता से शिकायत करते हैं, जबकि 33% लोग थोड़ा सहज महसूस करते हैं। 257 अधिक प्रभावित जिलों में 270 संगठनों ने 50-50 गांव में छह-छह बाल विवाह रोकने की जिम्मेदारी ली, जिससे कुल 4,00,742 शादियां टलीं।
पंचायत और कानूनी हस्तक्षेप से मिली मदद
2023-24 के दौरान 73,501 बाल विवाह पंचायतों और अदालतों की मदद से रोके गए। इसमें से 59,364 पंचायतों के प्रयास थे और 14,137 मामलों में कानूनी कार्रवाई हुई।
जोखिम में बच्चे, मुकदमों की चुनौती
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अनुसार 27 राज्यों और 7 केंद्रशासित प्रदेशों में 11.5 लाख से अधिक बच्चे बाल विवाह के खतरे में हैं, सबसे ज्यादा संख्या यूपी में है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक 2022 में केवल 181 मामले मुकदमेबाजी पूरी कर सके।
निरंतर प्रयासों से बढ़े उम्मीद के दिग्गज
यूनिसेफ आदि संगठनों के अनुसार 1990-2005 में बाल विवाह दर सालाना 1% घट रही थी, जो अब बढ़कर लगभग 2% सालाना हो गई है। इस बढ़ोतरी से यह संकेत मिलता है कि जागरूकता और कानूनी व्यवस्था बेहतर हो रही है।

