Jharkhand News: बोकारो जिले के लुग्गु पहाड़ में सुरक्षाबलों द्वारा नक्सलियों के खिलाफ चलाए गए अभियान के बाद एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है। 22 वर्षीय नक्सली महिला सुनीता मुर्मू ने सोमवार सुबह बोकारो के एसपी कार्यालय में आत्मसमर्पण कर दिया। यह कदम उस मुठभेड़ के एक सप्ताह बाद आया, जिसमें आठ नक्सली मारे गए थे। सुनीता ने बताया कि वह भी उस मुठभेड़ का हिस्सा थी, लेकिन गोलियों के बीच किसी तरह बच निकली। जंगलों में छिपते हुए वह कई दिनों तक भूखी और प्यासे भटकती रही। अंततः उसने गोमिया से ट्रेन पकड़ी और चंद्रपुरा होते हुए बोकारो एसपी के आवास तक पहुंच गई। सुनीता ने एसपी से आग्रह किया कि वह आत्मसमर्पण कर एक नई जिंदगी शुरू करना चाहती है।
सरेंडर की प्रक्रिया और पुनर्वास नीति
सुनीता मुर्मू ने आत्मसमर्पण के दौरान बताया कि वह भाकपा (माओवादी) संगठन की सक्रिय सदस्य रही है। दुमका जिले के अमरपानी गांव की रहने वाली सुनीता ने स्वीकार किया कि वह पहले गिरिडीह जेल में तीन साल तक न्यायिक हिरासत में रह चुकी है। हाल ही में लुग्गु पहाड़ में सुरक्षाबलों के साथ हुई मुठभेड़ में भी वह संगठन के दस्ते का हिस्सा थी। झारखंड सरकार की आत्मसमर्पण और पुनर्वास नीति से प्रभावित होकर और लगातार बढ़ते पुलिस दबाव के कारण उसने हिंसा का रास्ता छोड़ने का निर्णय लिया।
सुनीता ने बताया कि वह एक गरीब परिवार से आती है और उसके परिवार में माता-पिता और एक भाई हैं। वर्ष 2017 में नीलू नामक एक महिला ने उसे सांस्कृतिक कार्यक्रम में भाग लेने के बहाने जंगलों में बुलाया और जबरन माओवादी संगठन में शामिल कर लिया। वहां उसे कैंप में संत्री ड्यूटी, खाना बनाना और संगठन की विचारधारा का प्रचार करने का काम सौंपा गया। धीरे-धीरे वह संगठन के छोटे-बड़े कामों में भाग लेने लगी।
एसपी बोकारो की प्रतिक्रिया
बोकारो एसपी मनोज स्वर्गियारी ने बताया कि लुग्गु पहाड़ की मुठभेड़ में 6-7 नक्सली भाग गए थे, जिनमें से सुनीता एक है। पुलिस इन नक्सलियों की तलाश कर रही है और एसपी ने आशा जताई कि अगर वे भी अपने भविष्य और परिवार के बारे में सोचेंगे तो वे भी आत्मसमर्पण कर सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि झारखंड सरकार की सरेंडर नीति के तहत सुनीता को सुरक्षा प्रदान की जाएगी और उसे ओपन जेल में रखा जाएगा ताकि वह समाज की मुख्यधारा से जुड़ सके।
नक्सली अभियान और मुठभेड़ की तफ्तीश
झारखंड सरकार के निर्देश पर बोकारो पुलिस ने नक्सलियों के खिलाफ एक बड़ा अभियान “डाकाबेड़ा” चलाया था। डीजीपी के आदेश पर 209 कोबरा, बोकारो पुलिस (ललपनिया ओपी), झारखंड जगुआर और सीआरपीएफ ने संयुक्त रूप से 21 अप्रैल 2025 को लुग्गु पहाड़ क्षेत्र में सर्च ऑपरेशन किया। इस मुठभेड़ में भाकपा (माओवादी) के केंद्रीय समिति सदस्य प्रयाग मांझी उर्फ विवेक सहित आठ उग्रवादी मारे गए। इस अभियान के दौरान भारी मात्रा में हथियार, गोलियां और दैनिक उपयोग की सामग्री भी बरामद की गई।
नक्सली संगठन में हड़कंप
लुग्गु पहाड़ मुठभेड़ में प्रयाग मांझी जैसे शीर्ष नेता की मौत से माओवादी संगठन को बड़ा झटका लगा है। कई प्रमुख कैडर के मारे जाने से संगठन के बाकी सदस्य हड़कंप में हैं। सुनीता मुर्मू ने भी इस दबाव और सरकार की पुनर्वास नीति के चलते बोकारो एसपी कार्यालय में आत्मसमर्पण कर दिया।
आपराधिक मामलों में शामिल सुनीता मुर्मू
सुनीता मुर्मू के खिलाफ महुआटांड थाना और खुखरा थाना में यूएपीए, आर्म्स एक्ट और विस्फोटक अधिनियम के तहत कई गंभीर मामले दर्ज हैं। वह पहले गिरिडीह जेल में तीन वर्षों तक न्यायिक हिरासत में रही है। मुठभेड़ में शामिल होने की पुष्टि सुनीता ने स्वयं की है, और पुलिस ने उसका बयान रिकॉर्ड किया है। फिलहाल, सुनीता को कानूनी प्रक्रिया के तहत पुनर्वास योजना में शामिल किया जा रहा है और उसे सुरक्षा प्रदान की जाएगी।