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महाकुम्भ में कैसे गिने जाते हैं श्रद्धालु; ब्रिटिश शासन से लेकर AI तक

Adda PublicBy Adda PublicFebruary 15, 20254 Mins Read
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India News: महाकुम्भ 2025 का आयोजन एक ऐतिहासिक आयोजन बन चुका है, जिसमें 50 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु स्नान करने के लिए संगम क्षेत्र पहुंच चुके हैं। महाकुम्भ जैसे विशाल धार्मिक मेले में लाखों-करोड़ों श्रद्धालुओं की गिनती एक चुनौतीपूर्ण कार्य है, जिसे आधुनिक तकनीकों के माध्यम से अब पहले से कहीं अधिक सटीक तरीके से किया जा रहा है। इस बार AI (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) कैमरों का उपयोग, घनी भीड़ और हर दिशा से आने वाले श्रद्धालुओं की सटीक गिनती के लिए किया जा रहा है, जो इस आयोजन को पहले से अधिक पारदर्शी बनाता है।

महाकुम्भ में श्रद्धालुओं की गिनती का इतिहास: ब्रिटिश शासन से लेकर AI तक

महाकुम्भ में श्रद्धालुओं की गिनती की शुरुआत का इतिहास बहुत पुराना है। यह गिनती ब्रिटिश शासन के दौरान, 1882 में पहली बार की गई थी। उस समय प्रयागराज (तत्कालीन इलाहाबाद) कुम्भ मेले में आने वाले श्रद्धालुओं की गिनती बैरिकेड्स और रेलवे टिकटों के आधार पर की जाती थी। उस समय लगभग 10 लाख श्रद्धालु मेले में शामिल हुए थे, और इसका मुख्य तरीका था हाथ से गिनती करना।

इसके बाद, गिनती के तरीके में धीरे-धीरे बदलाव आते गए और संख्या बढ़ती रही। हालांकि, इस प्रक्रिया में कई तरह के सवाल उठते रहे थे, जैसे आंकड़ों की सटीकता को लेकर। इन सवालों का समाधान आधुनिक तकनीकों से किया गया है, खासकर इस बार के महाकुम्भ में।

AI कैमरों की भूमिका: श्रद्धालुओं की गिनती को स्मार्ट तरीके से करना

महाकुम्भ 2025 के दौरान, मेला प्रशासन ने श्रद्धालुओं की गिनती के लिए अत्याधुनिक AI तकनीक का सहारा लिया है। इस बार प्रयागराज में करीब 2700 डिजिटल कैमरे लगाए गए हैं, जिनमें से 1800 कैमरे मेला क्षेत्र के अंदर और बाहर स्थित प्रमुख स्थलों पर लगाए गए हैं। इनमें से 270 कैमरे AI से लैस हैं, जो हर व्यक्ति के आने-जाने का रिकॉर्ड रखते हैं। जैसे ही कोई व्यक्ति इन कैमरों की रेंज में आता है, उसकी गिनती ऑटोमेटिकली हो जाती है। इन कैमरों का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह मिनट दर मिनट आंकड़े अपडेट करते हैं और किसी भी समय की स्थिति का सही अनुमान लगाया जा सकता है।

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तीन तरीके से होती है भीड़ की गिनती

महाकुम्भ में श्रद्धालुओं की गिनती के लिए मेला प्रशासन द्वारा तीन प्रमुख तरीकों का पालन किया जाता है। पहला तरीका है मेला क्षेत्र में उपस्थित श्रद्धालुओं की गिनती, दूसरा तरीका है जो लोग मेला क्षेत्र में प्रवेश कर रहे हैं, उनकी गिनती और तीसरा तरीका है स्नान करने वाले श्रद्धालुओं की गिनती। AI कैमरों के माध्यम से इन तीनों प्रकार के आंकड़े अपडेट होते रहते हैं।

इसके अलावा, पुराने तरीके से भी गिनती की जाती है, जैसे गणितीय फॉर्मूलों का उपयोग करके। इस तरीके के अनुसार, घाट पर एक व्यक्ति के स्नान करने के लिए 0.25 मीटर की जगह चाहिए और उसे स्नान करने में लगभग 15 मिनट का समय लगता है। इसके आधार पर यह अनुमान लगाया जाता है कि एक घंटे में एक घाट पर लगभग 12,500 लोग स्नान कर सकते हैं।

शहर में प्रवेश करने वाली भीड़ और पार्किंग का भी हिसाब रखा जाता है

इसके अतिरिक्त, महाकुम्भ में शहर में प्रवेश करने वाली भीड़ का भी हिसाब रखा जाता है। प्रयागराज शहर में कुल सात प्रमुख रास्ते हैं, जिनसे श्रद्धालु मेला क्षेत्र में पहुंचते हैं। प्रमुख स्नान पर्व के दौरान गाड़ियों को रोक दिया जाता है और हर व्यक्ति को मेला में शामिल होने वाला माना जाता है। इसके अलावा, पार्किंग में खड़ी गाड़ियों का भी आंकड़ा जोड़ा जाता है। इस आंकड़े को शहर में प्रवेश करने वाले श्रद्धालुओं की संख्या से जोड़कर कुल संख्या का अनुमान लगाया जाता है।

आंकड़े और AI की प्रामाणिकता

महाकुम्भ में श्रद्धालुओं की गिनती को लेकर पहले भी सवाल उठते रहे हैं, लेकिन अब AI और अन्य तकनीकों के माध्यम से यह प्रक्रिया अधिक सटीक हो गई है। प्रयागराज के वरिष्ठ पत्रकार विनय मिश्र के अनुसार, सीसीटीवी कैमरों और AI तकनीक के इस्तेमाल से श्रद्धालुओं की गिनती अब पहले से कहीं अधिक प्रामाणिक हो गई है। यह तकनीक भविष्य में भी कुम्भ जैसे आयोजनों की सटीक निगरानी में मदद करेगी।

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महाकुम्भ 2025 में आज की तकनीक का प्रयोग एक ऐतिहासिक कदम है और आने वाली पीढ़ियां इसे याद करेंगी। इस बार के महाकुम्भ में श्रद्धालुओं की गिनती पहले से कहीं अधिक सटीक और विश्वसनीय हो गई है, जिससे आयोजन की पारदर्शिता भी बढ़ी है।

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