Ranchi News: सरायकेला-खरसावां जिला के चांडिल अनुमंडल अंतर्गत नीमडीह प्रखंड के आण्डा गांव के टोला बनगोड़ा में इन दिनों हाथियों के झुंड का आतंक लगातार बना हुआ है। यह हाथी दलमा वाइल्डलाइफ सेंचुरी से भटककर गांवों में घुस आए हैं, जिससे आम लोगों के जीवन पर खतरा मंडरा रहा है।
भोजन और पानी की तलाश में गांवों की ओर हाथियों का रुख
दलमा सेंचुरी इन दिनों भीषण जल संकट से गुजर रही है। जंगलों के जलस्रोत सूखने के कारण हाथी भोजन और पानी की तलाश में गांवों की ओर पलायन कर गए हैं। चांडिल डैम के किनारे कुछ हाथी पानी में घूमते देखे गए हैं, जबकि अन्य हाथियों ने फसलों, घरों और संपत्ति को नुकसान पहुंचाया है।
वन विभाग की लापरवाही पर उठे सवाल
हाथियों की निगरानी के लिए बनाए गए अवाच टावर वीरान पड़े हैं और कर्मचारी अक्सर नदारद रहते हैं। वन विभाग की अनदेखी और सरकारी योजनाओं की असफलता ग्रामीणों की सुरक्षा पर सवाल खड़े कर रही है।
दलमा की जैव विविधता को खतरा
कभी रॉयल बंगाल टाइगर, भालू, लकड़बग्घा और गिद्धों से समृद्ध दलमा सेंचुरी अब अंधाधुंध पेड़ों की कटाई और मानव हस्तक्षेप के कारण अपनी जैव विविधता खोती जा रही है। पक्षियों की चहचहाहट भी अब सुनाई नहीं देती।
पर्यटन को प्राथमिकता, लेकिन वन्यजीव संरक्षण की अनदेखी
हालांकि दलमा में गेस्ट हाउस और रोपवे जैसे पर्यटन विकास कार्य हो रहे हैं, लेकिन वन्य जीवों की सुरक्षा को नजरअंदाज किया जा रहा है। पर्यटकों के आकर्षण के साथ-साथ वन्य जीवों के लिए सुरक्षित माहौल बनाना जरूरी है।
ग्रामीणों की अपील: जंगल और जानवर दोनों बचाइए
किसान राजेंद्र सिंह और मानवाधिकार जिला अध्यक्ष प्रमोद कुमार शर्मा ने जंगलों की अवैध कटाई और वन विभाग की उदासीनता को जिम्मेदार ठहराते हुए सरकार से ठोस संरक्षण नीति की मांग की है।
दलमा सेंचुरी से हाथियों का पलायन अब संकट बनता जा रहा है। सरकार और वन विभाग को मिलकर सुरक्षित कॉरिडोर, जलस्रोत और ग्रामीण सुरक्षा योजनाएं बनानी होंगी।

