Health News: मधुमेह यानी शुगर, डायबिटीज भारत में तेजी से बढ़ रही है और इसके साथ ही आंखों की बीमारी भी गंभीर चुनौती बनती जा रही है। डॉक्टरों का कहना है कि शुगर के मरीजों में डायबिटिक मैक्युलर एडिमा (डीएमई) नाम की बीमारी तेजी से फैल रही है, जो समय रहते जांच न होने पर स्थायी अंधेपन का कारण बन सकती है।
डीएमई क्यों है खतरनाक?
डीएमई धीरे-धीरे आंख की रेटिना पर असर डालती है। लंबे समय तक ब्लड शुगर बढ़ने से रेटिना की छोटी रक्त वाहिकाएं कमजोर हो जाती हैं और उनमें से तरल पदार्थ रिसने लगता है। यह तरल आंख के उस हिस्से में जमा हो जाता है, जिसे मैक्युला कहते हैं। मैक्युला हमें बारीक और साफ चीजें देखने में मदद करता है। जब इसमें सूजन आती है, तो दृष्टि धुंधली हो जाती है और इलाज न करने पर यह स्थायी अंधेपन तक ले जा सकती है।
भारत में स्थिति कितनी गंभीर?
वर्तमान में भारत में करीब 10 करोड़ लोग डायबिटीज से पीड़ित हैं और साल 2045 तक यह आंकड़ा 13 करोड़ से ज्यादा होने की आशंका है। रिपोर्ट बताती है कि 2025 तक हर 14 में से एक भारतीय को डीएमई की समस्या हो सकती है। यह कामकाजी उम्र के लोगों में रोके जा सकने वाले अंधेपन का प्रमुख कारण बन रही है।
विशेषज्ञों की चेतावनी और सुझाव
विश्व रेटिना दिवस पर आयोजित कॉन्क्लेव में विशेषज्ञों ने कहा कि डीएमई का पता लगाना तभी संभव है जब नियमित रेटिना जांच को डायबिटीज देखभाल का हिस्सा बनाया जाए। क्योंकि एक बार रेटिना को नुकसान हो गया, तो उसे पूरी तरह से ठीक कर पाना लगभग असंभव है। उन्होंने यह भी बताया कि सबूत-आधारित इलाज ने अच्छे परिणाम दिए हैं, लेकिन अभी भी चुनौतियां बनी हुई हैं। इनमें जागरूकता की कमी, महंगे इलाज का बोझ, बार-बार इंजेक्शन लगने की परेशानी और समय पर जांच न होना बड़ी बाधाएं हैं।
समय पर जांच है सबसे बड़ा बचाव
विशेषज्ञों का कहना है कि डायबिटीज मरीजों को हर साल रेटिना की जांच जरूर करानी चाहिए। यह न केवल दृष्टि की रक्षा करने में मदद करता है, बल्कि मरीज की जीवन गुणवत्ता को भी बनाए रखता है। समय रहते जांच और इलाज ही इस बीमारी से बचाव का सबसे बड़ा हथियार है।

