Social News: सफलता पाने के लिए क्या हमेशा डिग्री जरूरी है? अगर आप दुनिया के सबसे अमीर लोगों की लिस्ट देखें तो इसका जवाब होगा – नहीं। दुनिया के कई टॉप अरबपति ऐसे हैं, जिन्होंने कॉलेज की पढ़ाई बीच में छोड़ दी, लेकिन आज वे लाखों-करोड़ों लोगों के लिए प्रेरणा बन चुके हैं।
ब्लूमबर्ग बिलियनेयर्स इंडेक्स की ताजा रिपोर्ट बताती है कि टेक्नोलॉजी और बिजनेस सेक्टर के कई बड़े नाम कॉलेज ड्रॉपआउट हैं। इनमें ओरेकल के लैरी एलिसन, माइक्रोसॉफ्ट के बिल गेट्स, मेटा के मार्क जुकरबर्ग, डेल टेक्नोलॉजीज के माइकल डेल और एप्पल के सह-संस्थापक स्टीव जॉब्स शामिल हैं। भारत से भी गौतम अडानी और मुकेश अंबानी जैसे दिग्गज इसी लिस्ट में गिने जाते हैं।
सबसे रोचक कहानी लैरी एलिसन की है। बचपन में कठिनाइयों का सामना करने वाले एलिसन ने यूनिवर्सिटी ऑफ इलिनोइस और शिकागो से पढ़ाई अधूरी छोड़ दी थी। साल 1977 में उन्होंने सिर्फ 2,000 डॉलर की पूंजी से ओरेकल की नींव रखी। आज यह कंपनी क्लाउड कंप्यूटिंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में दुनिया की दिग्गज है। हाल ही में उनकी नेटवर्थ में एक ही दिन में 101 बिलियन डॉलर का इजाफा हुआ और वे कुछ समय के लिए एलन मस्क से आगे निकलकर दुनिया के सबसे अमीर इंसान बन गए।
बिल गेट्स और मार्क जुकरबर्ग भी हार्वर्ड यूनिवर्सिटी छोड़कर अपने आइडियाज को हकीकत में बदलने निकले। गेट्स ने माइक्रोसॉफ्ट की शुरुआत की और जुकरबर्ग ने फेसबुक बनाकर सोशल मीडिया की दुनिया ही बदल दी। जुकरबर्ग ने जब पढ़ाई छोड़ी थी तब शायद ही किसी ने सोचा होगा कि एक दिन वे दुनिया के सबसे युवा अरबपतियों में शामिल होंगे।
भारत में भी कई ऐसे उदाहरण हैं। गौतम अडानी ने कम उम्र में ही पढ़ाई छोड़कर कारोबार शुरू किया और आज उनकी कंपनियां देश की सबसे बड़ी इंडस्ट्रीज में गिनी जाती हैं। वहीं, मुकेश अंबानी ने स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी की पढ़ाई बीच में छोड़ी और रिलायंस इंडस्ट्रीज को ऊर्जा, दूरसंचार और रिटेल सेक्टर में नई ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया।
इसी तरह, निखिल कामत ने स्कूल की पढ़ाई छोड़ी और जेरोधा जैसी ब्रोकरेज फर्म खड़ी की, जो आज भारत की सबसे सफल कंपनियों में है। अजीम प्रेमजी ने भी अपनी पढ़ाई पूरी नहीं की, लेकिन पारिवारिक जिम्मेदारी उठाते हुए विप्रो को ग्लोबल आईटी पावरहाउस बना दिया।
ये कहानियां साबित करती हैं कि सफलता के लिए सिर्फ डिग्री ही सबकुछ नहीं है। असली फर्क डालते हैं – नए विचार, जोखिम उठाने का साहस और लगातार सीखते रहने की क्षमता। यही वजह है कि टेक्नोलॉजी और बिजनेस सेक्टर में कई बार औपचारिक पढ़ाई से ज्यादा इनोवेशन और प्रैक्टिकल नॉलेज को अहमियत दी जाती है।
एलिसन खुद कहते हैं, “शिक्षा जरूरी है, लेकिन जिज्ञासा और दृढ़ता कई बार डिग्री से भी ज्यादा मायने रखती है।” यही सोच इन ड्रॉपआउट्स को आम इंसानों से अलग करती है।
भले ही अरबपतियों की लिस्ट में डिग्री धारक ज्यादा हों, लेकिन कॉलेज ड्रॉपआउट्स का असर खासकर टेक सेक्टर में बेहद गहरा है। उनकी कहानियां इस बात का सबूत हैं कि पारंपरिक रास्ते से हटकर भी सफलता पाई जा सकती है। असफलता से सीखना, नए मौके तलाशना और दुनिया को बदलने का जज्बा ही उन्हें असली गेमचेंजर बनाता है।

