Jharkhand News: देश में आतंकी हमलों की आशंका और पहलगाम में हुए हालिया हमले के बाद भारत सरकार ने नागरिक सुरक्षा को लेकर गंभीर कदम उठाए हैं। इसी क्रम में 7 मई को पूरे देश में एक बड़ा मॉक ड्रिल आयोजित किया जा रहा है। यह ड्रिल नागरिकों और प्रशासन की आपातकालीन स्थितियों से निपटने की क्षमता को परखने के लिए की जाएगी।
झारखंड राज्य में भी इस राष्ट्रव्यापी अभ्यास के तहत पांच जिलों — रांची, बोकारो, पूर्वी सिंहभूम (जमशेदपुर), गोड्डा और साहेबगंज — में ड्रिल आयोजित होगी। इसके अलावा बोकारो जिले के गोमिया क्षेत्र में भी विशेष रूप से यह मॉक ड्रिल की जाएगी।
गौरतलब है कि इतने बड़े स्तर पर नागरिक सुरक्षा अभ्यास इससे पहले 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के समय हुआ था। उस समय हवाई हमलों से बचाव और ब्लैकआउट प्रोटोकॉल को लेकर भी ड्रिल की गई थी। इस बार भी उसी तर्ज पर अभ्यास की योजना बनाई गई है।
मॉक ड्रिल और ब्लैकआउट एक्सरसाइज का क्या है मकसद?
मॉक ड्रिल एक प्रकार की अभ्यास प्रक्रिया होती है जिसमें यह परखा जाता है कि किसी आपात स्थिति — जैसे बम हमला या एयर स्ट्राइक — के दौरान प्रशासन, आपदा प्रबंधन टीम और आम लोग कितनी जल्दी और प्रभावी प्रतिक्रिया देते हैं।
वहीं, ब्लैकआउट एक्सरसाइज के तहत तय समय पर पूरे इलाके की लाइटें बंद कर दी जाती हैं। इसका उद्देश्य होता है दुश्मन के हमले के समय इलाके को अंधेरे में सुरक्षित करना, जिससे निशाना बनाना मुश्किल हो सके। यह एक्सरसाइज जनता को सतर्क रहने और संकट की स्थिति में सही निर्णय लेने की दिशा में प्रशिक्षित करती है।
इस अभ्यास को लेकर जिला प्रशासन, पुलिस, नागरिक सुरक्षा विभाग और स्थानीय निकायों को अलर्ट किया गया है। स्थानीय लोगों से अपील की गई है कि वे घबराएं नहीं और इस मॉक ड्रिल में प्रशासन का सहयोग करें।
यह ड्रिल न केवल वर्तमान हालात में सजगता बढ़ाने का प्रयास है, बल्कि संभावित खतरों के प्रति तैयार रहने की एक अहम पहल भी है।