Bihar News: चुनाव आयोग ने रविवार को नेशनल मीडिया सेंटर में एक प्रेस वार्ता की। इस दौरान मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा कि भारत के संविधान के अनुसार 18 वर्ष की आयु प्राप्त करने वाले भारत के प्रत्येक नागरिक को मतदाता बनना चाहिए और मतदान भी करना चाहिए।
चुनाव आयोग के लिए कोई पक्ष या विपक्ष नहीं, सभी समान
आप सभी जानते हैं कि कानून के अनुसार प्रत्येक राजनीतिक दल का जन्म चुनाव आयोग में पंजीकरण के माध्यम से होता है। फिर चुनाव आयोग समान राजनीतिक दलों के बीच भेदभाव कैसे कर सकता है? चुनाव आयोग के लिए न तो कोई विपक्ष है और न ही कोई पक्ष। सभी समान हैं। चाहे कोई किसी भी राजनीतिक दल से संबंधित हो, चुनाव आयोग अपने संवैधानिक कर्तव्य से पीछे नहीं हटेगा।
विपक्ष चुनाव आयोग के कंधे पर बंदूक रखकर राजनीति कर रहा
चुनाव आयोग ने राहुल गांधी का बिना नाम लिए चीफ इलेक्शन कमिश्नर ज्ञानेश कुमार ने कहा- वोटरों को फर्जी कहना गलत है। माफी मांगनी चाहिए। 7 दिन में हलफनामा नहीं दिया तो सारे आरोप निराधार होंगे। ज्ञानेश कुमार ने कहा कि हमारे लिए न कोई पक्ष और न विपक्ष है। सभी राजनीतिक दल बराबर हैं। अगर सही समय पर त्रुटि हटाने का आवेदन न हो और फिर वोट चोरी जैसे गलत शब्दों का इस्तेमाल कर जनता को गुमराह किया जाए तो ये लोकतंत्र का अपमान है। ज्ञानेश कुमार ने कहा कि कुछ मतदाताओं ने वोट चोरी के आरोप लगाए, सबूत मांगने पर जवाब नहीं मिला। ऐसे आरोपों से इलेक्शन कमीशन नहीं डरता है। जब चुनाव आयोग के कंधे पर बंदूक रखकर मतदाताओं को निशाना बनाया जा रहा हो तो हम स्पष्ट करते हैं कि चुनाव आयोग निडरता के साथ गरीब, अमीर, बुजुर्ग, महिला, युवा समेत सभी धर्मों-वर्गों के लोगों के साथ चट्टान के साथ खड़ा है, खड़ा था और खड़ा रहेगा।
1.6 लाख बीएलओ ने सूची तैयार की
मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि पिछले दो दशकों से लगभग सभी राजनीतिक दल मतदाता सूची में त्रुटियों को सुधारने की मांग कर रहे हैं। इसके लिए चुनाव आयोग ने बिहार से एक विशेष गहन पुनरीक्षण की शुरुआत की है। एसआईआर की प्रक्रिया में सभी मतदाताओं, बूथ स्तर के अधिकारियों और सभी राजनीतिक दलों द्वारा नामित 1.6 लाख बीएलओ ने मिलकर एक मसौदा सूची तैयार की है। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव की प्रक्रिया में एक करोड़ से ज्यादा कर्मचारी, 10 लाख से ज्यादा बूथ लेवल एजेंट, उम्मीदवारों के 20 लाख से ज्यादा पोलिंग एजेंट काम करते हैं। इतने सारे लोगों के सामने इतनी पारदर्शी प्रक्रिया में क्या कोई मतदाता वोट चुरा सकता है? सीईसी ने कहा कि बिहार में मसौदा सूची जब से तैयार की जा रही थी, तभी से इसे सभी राजनीतिक दलों के बीएलए से हस्ताक्षर करा सत्यापित कराया गया। इसमें आने वाली त्रुटि को ठीक करने के लिए सभी राजनीतिक दल और मतदाता अहम योगदान दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि एसआईआर में त्रुटि हटाने के लिए अभी भी 15 दिनों का समय बाकी है।
हम सभी दलों और बीएलए से अपील करते हैं कि आने वाले 15 दिनों में सूची में त्रुटि को फॉर्म भरकर बताएं। जमीनी स्तर पर सभी बीएलओ, बीएलए और मतदाता मिलकर काम कर रहे हैं। मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि चुनाव आयोग के दरवाजे सभी के लिए समान रूप से सदैव खुले हैं। जमीनी स्तर पर सभी मतदाता, सभी राजनीतिक दल और सभी बूथ स्तरीय अधिकारी मिलकर पारदर्शी तरीके से काम कर रहे हैं। सत्यापन कर रहे हैं। हस्ताक्षर कर रहे हैं। वीडियो प्रशंसापत्र भी दे रहे हैं।
यह गंभीर चिंता का विषय है कि राजनीतिक दलों के जिला अध्यक्षों और उनकी ओर से नामित बीएलओ के ये सत्यापित दस्तावेज, प्रशंसापत्र या तो उनके अपने राज्य स्तरीय या राष्ट्रीय स्तर के नेताओं तक नहीं पहुंच रहे हैं या फिर जमीनी हकीकत को नजरअंदाज करके भ्रम फैलाने की कोशिश की जा रही है। सच्चाई यह है कि कदम दर कदम सभी पक्ष बिहार के एसआईआर को पूर्ण रूप से सफल बनाने के लिए प्रतिबद्ध, प्रयासरत और मेहनत कर रहे हैं। जब बिहार के सात करोड़ से अधिक मतदाता चुनाव आयोग के साथ खड़े हैं, तो न तो चुनाव आयोग की विश्वसनीयता पर और न ही मतदाताओं की विश्वसनीयता पर कोई प्रश्नचिह्न लगाया जा सकता है।
वोट चोरी जैसे गलत शब्दों का इस्तेमाल
उन्होंने कहा कि अगर सही समय पर त्रुटि हटाने का आवेदन न किया जाए और वोट चोरी जैसे गलत शब्दों का इस्तेमाल कर जनता को गुमराह किया जाए तो यह तो गलत है। यह संविधान का अपमान नहीं तो और क्या है। कुछ लोगों ने ऐसे ही बेबुनियाद आरोप लगाए। जब उनसे सबूत मांगे गए तो जवाब नहीं दिया गया। मतदाताओं के तस्वीरों का इस्तेमाल बिना उनकी इजाजत के किया गया, यह लोकतंत्र का अपमान नहीं तो और क्या है। ऐसे बेबुनियाद आरोपों से चुनाव आयोग डरने वाला नहीं है। विपक्ष चुनाव आयोग के कंधे पर बंदूक रखकर राजनीति करने का प्रयास कर रहा है। ऐसे में हम साफ कर देते हैं कि चुनाव आयोग बिना किसी डर के गरीब, अमीर, बुजुर्ग, महिला, युवा समेत सभी धर्मों-वर्गों के लोगों के साथ चट्टान की तरह खड़ा था, खड़ा है और खड़ा रहेगा।
मशीन-पठनीय सूची मतदाता की निजता का उल्लंघन
ज्ञानेश कुमार ने कहा के रिटर्निंग ऑफिसर की ओर से नतीजे घोषित करने के बाद भी कानून में यह प्रावधान है कि 45 दिनों की अवधि के भीतर राजनीतिक दल कोर्ट जाकर चुनाव को चुनौती देने के लिए चुनाव याचिका दायर कर सकते हैं। इस 45 दिनों की अवधि के बाद इस तरह के बेबुनियाद आरोप लगाना, चाहे वह केरल हो, कर्नाटक हो या बिहार। जब चुनाव के बाद की वह 45 दिन की अवधि समाप्त हो जाती है और उस अवधि के दौरान किसी भी उम्मीदवार या राजनीतिक दल को कोई अनियमितता नहीं मिलती है, तो आज इतने दिनों के बाद देश के मतदाता और जनता ऐसे बेबुनियाद आरोप लगाने के पीछे की मंशा समझ रहे हैं। आगे उन्होंने कहा कि जहां तक मशीन-पठनीय मतदाता सूची का सवाल है तो सुप्रीम कोर्ट 2019 में ही कह चुका है कि यह मतदाता की निजता का उल्लंघन हो सकता है।

