चैनपुर प्रखंड मुख्यालय में रविवार को वट सावित्री व्रत का पावन पर्व बड़े ही श्रद्धा और भक्ति भाव के साथ मनाया गया। सुहागिन महिलाओं ने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्ध वैवाहिक जीवन की कामना के लिए निर्जला उपवास रखकर वट वृक्ष की पूजा-अर्चना की। इस अवसर पर पूरे क्षेत्र में धार्मिक उत्साह का वातावरण देखने को मिला।
इस दौरान महिलाओं ने वट के पेड़ की पत्ती को अपने बालों में भी खोंसा, जो इस व्रत की एक पारंपरिक प्रथा है। हिंदू धर्म में विवाहित महिलाओं के लिए यह पर्व अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को पड़ने वाला यह व्रत हर साल बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत के प्रभाव से पति की उम्र लंबी होती है और दांपत्य जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है। महिलाएं पूरे दिन उपवास रखकर वट वृक्ष की पूजा करती। इस व्रत के पीछे एक गहरा पौराणिक महत्व जुड़ा हुआ है।
पौराणिक कथा के अनुसार, माता सावित्री ने इसी वट वृक्ष के नीचे यमराज से अपने मृत पति सत्यवान को वापस पाया था। तभी से वट वृक्ष की पूजा का विशेष महत्व माना जाता है। पुरोहित अविनाश पाठक, संजय पाठक और अमरेश पाठक ने बताया कि हिंदू शास्त्रों में वट वृक्ष को अत्यंत पूजनीय माना गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस वृक्ष में ब्रह्मा, विष्णु और महेश – तीनों देवों का वास होता है, जो इसे हमारे सनातन धर्म में एक विशेष स्थान दिलाता है। इसी कारण वट सावित्री व्रत के दिन इस वृक्ष की पूजा को बेहद शुभ और फलदायी माना जाता है।