World News: इजराइल के पीएम बेंजामिन नेतन्याहू हाल ही में ब्रिटेन के फिलिस्तीन को मान्यता देने के फैसले से नाराज हैं। उनका कहना है कि कई देश हमास को बचाने की कोशिश कर रहे हैं और इजराइल पर दबाव डाल रहे हैं कि गाजा छोड़ दिया जाए। नेतन्याहू ने इसे “आतंकवाद को दिया गया इनाम” करार दिया और कहा कि सिर्फ अच्छे शब्दों से इस विवाद को खत्म नहीं किया जा सकता।
नेतन्याहू बोले- कुछ देश हमास को बचा रहे
नेतन्याहू के सहयोगी, वित्त मंत्री बेजलेल स्मोट्रिच और राष्ट्रीय सुरक्षा मंत्री इतामार बेन-गवीर ने कहा कि ब्रिटेन और अन्य देशों के फैसले का जवाब वेस्ट बैंक के पूर्ण विलय से दिया जा सकता है। स्मोट्रिच ने सोशल मीडिया पर लिखा कि “वो दिन गए जब विदेशी देश हमारा भविष्य तय करते थे। यहूदी लोगों की ऐतिहासिक भूमि यहूदा और सामरिया पर संप्रभुता लागू करना ही इसका जवाब है।”
हालांकि, विपक्षी डेमोक्रेटिक पार्टी के नेताओं ने इसे नेतन्याहू की राजनीतिक असफलता बताया। उनका कहना है कि युद्ध खत्म करने से इनकार करना और विलय की खतरनाक राह चुनना देश की स्थिरता के लिए जोखिम है। उनका मानना है कि फिलिस्तीनी क्षेत्रीय व्यवस्था का हिस्सा हो सकता है, लेकिन इसे इजराइल की सुरक्षा गारंटी के साथ ही होना चाहिए।
ब्रिटेन के अलावा कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और पुर्तगाल ने भी फिलिस्तीनी राज्य को मान्यता दी है। सितंबर 2025 तक, संयुक्त राष्ट्र के 193 सदस्य देशों में से 151 ने फिलिस्तीन को संप्रभु राज्य के रूप में मान्यता दी है। भारत ने 1988 में ही फिलिस्तीन को मान्यता दी थी।
इस बीच, इजराइल में 48 लोग अभी भी हमास के कब्जे में हैं। बंधकों के परिवारों के प्रतिनिधि समूहों ने भी ब्रिटेन और अन्य देशों की आलोचना की है। नेतन्याहू का कहना है कि उनका मुख्य उद्देश्य हमास को खत्म करना है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय दबाव और मान्यता की बढ़ती संख्या इस लक्ष्य को हासिल करना आसान नहीं बना रही है।

