Jharkhand News: झारखंड के मंत्री हफीजुल हसन अंसारी के एक बयान ने राज्य में सियासी बवाल मचा दिया है। मंत्री हफीजुल हसन ने हाल ही में शरीयत को संविधान से ऊपर बताकर एक विवादित बयान दिया, जिसके बाद भाजपा ने इसे संविधान का अपमान करार दिया। भाजपा के नेता इस बयान को लेकर आक्रोशित हैं, और उन्होंने इसे संविधान की अवमानना बताया है।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा कि मंत्री हफीजुल हसन का यह बयान, जिसमें उन्होंने कहा कि “मेरे लिए शरिया पहले है, संविधान बाद में,” जनादेश और संविधान का अपमान है। उन्होंने स्पष्ट किया कि भाजपा बाबा साहेब अंबेडकर द्वारा बनाए गए संविधान का अपमान किसी भी कीमत पर सहन नहीं करेगी। मरांडी ने यह भी कहा कि भाजपा इस बयान के खिलाफ सभी जिलों में आक्रोश मार्च निकालेगी और हेमंत सोरेन सरकार की नीयत को बेनकाब करेगी।
राज्यपाल से मिला भाजपा नेता, हफीजुल को बर्खास्त करने की मांग की
भाजपा ने राज्यपाल से मुलाकात की और मंत्री हफीजुल हसन की बर्खास्तगी की मांग करते हुए एक ज्ञापन सौंपा। इस ज्ञापन में भाजपा के कई प्रमुख नेता शामिल थे, जिनमें कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. रविंद्र कुमार राय, केंद्रीय मंत्री अन्नपूर्णा देवी, सांसद संजय सेठ, प्रदेश महामंत्री आदित्य साहू, और अन्य नेता थे। इस ज्ञापन में भाजपा ने हफीजुल हसन के उस बयान को असंवैधानिक बताया, जिसमें उन्होंने संविधान को हाथ में और कुरान को दिल में रखने की बात की थी। भाजपा ने इसे सीधे तौर पर संविधान की भावना के खिलाफ माना है और इसे शपथ की अवमानना करार दिया है।
इसके साथ ही, भाजपा ने एक और मंत्री इरफान अंसारी के बयान पर भी आपत्ति जताई है, जिसमें उन्होंने वक्फ संशोधन कानून को राज्य में लागू न होने देने की बात की थी। भाजपा का आरोप है कि इस तरह के बयान संविधान विरोधी हैं और इससे राज्य में विभाजनकारी शक्तियों को बढ़ावा मिलता है।
ज्ञापन में यह भी कहा गया है कि इस प्रकार के बयानों के कारण राज्य में धार्मिक असामाजिक घटनाएं बढ़ी हैं और समाज में असंतोष का माहौल बन रहा है। भाजपा ने राज्यपाल से आग्रह किया कि वे राज्य सरकार को संविधान की मर्यादा बनाए रखने के निर्देश दें और साथ ही, मुख्यमंत्री से मंत्री हफीजुल हसन को मंत्रिमंडल से बर्खास्त करने के लिए आवश्यक निर्देश देने की मांग की।
इस बीच, हेमंत सोरेन सरकार के इस मुद्दे पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन भाजपा का विरोध तेज हो गया है। भाजपा का कहना है कि यह मामला केवल संविधान के सम्मान का नहीं, बल्कि समाज में भाईचारे और एकता को बनाए रखने का भी है।