Ranchi : झारखंड की राजनीति एक बार फिर स्वास्थ्य विभाग में टेंडर प्रक्रिया को लेकर गरमा गई है। राज्य विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने बुधवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखकर स्वास्थ्य विभाग में हुए कथित टेंडर घोटाले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है। उन्होंने आरोप लगाया कि स्वास्थ्य विभाग में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं की गईं और पूरे खेल में विभागीय मंत्री इरफान अंसारी की भूमिका संदिग्ध है।
टेंडर प्रक्रिया पर गंभीर सवाल
मरांडी ने अपने पत्र में कहा कि उपलब्ध दस्तावेज और रिकॉर्ड इस बात का प्रमाण हैं कि स्वास्थ्य विभाग की टेंडर प्रक्रिया में सुनियोजित तरीके से प्रतिस्पर्धा को सीमित कर कुछ चुनिंदा कंपनियों को अनुचित लाभ पहुंचाया गया। यह मामला केवल वित्तीय अनियमितता तक सीमित नहीं है, बल्कि शासन की पारदर्शिता और संवैधानिक सिद्धांतों पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है। इसलिए इस पूरे प्रकरण की निष्पक्ष और समयबद्ध जांच जरूरी है।
एक ही परिवार की कंपनियों का खेल
मरांडी ने आरोप लगाया कि पूरे झारखंड के 11 जिलों में जारी 11 टेंडर केवल तीन कंपनियों को दिए गए। ये कंपनियां हैं – हैंड इंफ्रा प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड, एमएस भारत आर्ट एंड सप्लायर और एमएस ग्लोबल आर्ट एंड सप्लायर। चौंकाने वाली बात यह है कि तीनों कंपनियों का पता एक ही है – इरगु रोड, पहाड़ी टोला, रांची।
इन कंपनियों के निदेशक/प्रोप्राइटर भी एक ही परिवार के सदस्य बताए जा रहे हैं। इनमें ख्वाजा अब्दुल गुदिर अहमद बट, ख्वाजा मोहसिन अहमद और फरहान अहमद बट शामिल हैं। इतना ही नहीं, ख्वाजा मोहसिन अहमद दो अलग-अलग कंपनियों के निदेशक/प्रोप्राइटर के रूप में दर्ज हैं। मरांडी ने कहा कि यह तथ्य ही इन सभी टेंडरों को रद्द करने के लिए पर्याप्त था, लेकिन मंत्री के संरक्षण में इन कंपनियों को योग्य घोषित कर दिया गया।
जेम पोर्टल के नियमों का उल्लंघन
मरांडी ने बताया कि जेम पोर्टल की प्रक्रिया के क्लॉज 29 के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति दो या अधिक कंपनियां बनाकर बिडिंग में हिस्सा लेता है, तो उसकी बोली स्वतः ही निरस्त होनी चाहिए। लेकिन स्वास्थ्य विभाग में इस नियम को ताक पर रखकर अयोग्य कंपनियों को ही योग्य घोषित किया गया और भारी संख्या में टेंडर उन्हें दे दिए गए।
उन्होंने आरोप लगाया कि तीनों कंपनियों ने टेंडरों में जो रेट्स दिए, उनमें केवल कुछ हजार रुपये का अंतर पाया गया, जिससे साफ है कि दरें एक ही जगह से तय की गईं। जब भी किसी चौथी कंपनी ने बिडिंग में भाग लेने की कोशिश की, उसे तकनीकी आधार पर अयोग्य बताकर बाहर कर दिया गया।
11 टेंडरों का दिया हवाला
मरांडी ने पत्र में 11 टेंडरों का हवाला दिया, जिनमें सभी तीनों कंपनियों को ही लाभ मिला। ये टेंडर क्रमशः दुमका, रांची, जामताड़ा, बोकारो, देवघर और सरायकेला-खरसावां जिलों के लिए जारी किए गए थे।
- जीईएम /2024/B/5748485 (सिविल सर्जन- दुमका)
- जीईएम/2024/B/5758754 (सिविल सर्जन- रांची)
- जीईएम/2025/B/5895644 (सिविल सर्जन- जामताड़ा)
- जीईएम/2025/B/5919778 (सिविल सर्जन- जामताड़ा)
- जीईएम/2025/B/5920544 (सिविल सर्जन- बोकारो)
- जीईएम/2025/B/6012458 (सिविल सर्जन- बोकारो)
- जीईएम/2025/B/6012441 (सिविल सर्जन- बोकारो)
- जीईएम/2025/B/6013926 (सिविल सर्जन- दुमका)
- जीईएम/2025/B/6017607 (सिविल सर्जन- देवघर)
- जीईएम/2025/B/6021839 (सिविल सर्जन- सरायकेला-खरसावां)
- जीईएम/2025/B/6022047 (सिविल सर्जन- जामताड़ा)
स्वास्थ्य मंत्री पर सीधे आरोप
मरांडी ने कहा कि इतने बड़े स्तर पर अनियमितता बिना मंत्री इरफान अंसारी के संरक्षण के संभव नहीं थी। मंत्री ने न केवल अपने विभाग में भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया, बल्कि अपने खास लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए टेंडर प्रक्रिया को ही मोड़ दिया।
उन्होंने आगे कहा कि ये कंपनियां सिर्फ शेल कंपनियां हैं, जिनके पीछे असली लाभार्थी कुछ और लोग हैं जो मंत्री से सीधे जुड़े हुए हैं। मेडिकल क्षेत्र के जानकारों का भी कहना है कि इन कंपनियों को किए गए भुगतान बाजार मूल्य से कहीं अधिक हैं। इसका सीधा मतलब है कि सरकारी धन का दुरुपयोग और बड़े पैमाने पर बंदरबांट हुआ।
मुख्यमंत्री से उच्चस्तरीय जांच की मांग
मरांडी ने कहा कि यह पूरा मामला आपराधिक षड्यंत्र और भ्रष्टाचार का है। मुख्यमंत्री को चाहिए कि इस पर तुरंत एफआईआर दर्ज कर उच्चस्तरीय निष्पक्ष जांच कराई जाए। दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ कठोर कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित करनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि यदि इस मामले में सरकार चुप रहती है, तो यह साबित होगा कि मुख्यमंत्री स्वयं भी इस गोरखधंधे की अनदेखी कर रहे हैं। इसलिए पारदर्शिता और सुशासन की रक्षा के लिए इस घोटाले की जांच कराना आवश्यक है।

