World News: नेपाल में जेन-जी आंदोलन के दौरान भड़की हिंसा और आगजनी ने देश को गहरे जख्म दिए हैं। खासकर रूपन्देही जिला इस आंदोलन की सबसे बड़ी चपेट में आया, जहां सरकारी दफ्तरों, नेताओं के घरों, होटलों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों को निशाना बनाया गया। अब जबकि हालात धीरे-धीरे काबू में आ रहे हैं, प्रशासन नुकसान का आकलन शुरू करने की तैयारी में जुटा है।
तोड़फोड़ के बाद अब प्रशासन कर रहा नुक्सान के आकलन की तैयारी
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, आंदोलनकारियों ने भैरहवा स्थित गौतम बुद्ध अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे, नेपाली कांग्रेस पार्टी कार्यालय, रूपन्देही जिला अदालत, जिला सरकारी वकील कार्यालय, जिला यातायात कार्यालय, सीमा शुल्क कार्यालय, आंतरिक राजस्व कार्यालय और नेपाल विद्युत प्राधिकरण के दफ्तर को आग के हवाले कर दिया। इतना ही नहीं, सिद्धार्थनगर नगरपालिका के मेयर इस्तियाक अहमद खान, उप-मेयर उमा अधिकारी, प्रदेश के खेल मंत्री संतोष पांडेय और सांसद सर्वेन्द्रनाथ शुक्ल समेत कई जनप्रतिनिधियों के घरों को भी जला दिया गया।
रूपन्देही के अलावा बुटवल में भी आंदोलनकारियों ने तोड़फोड़ की और कई सरकारी व निजी संस्थानों को नुकसान पहुंचाया। इस दौरान होटल मौर्या और रेडसन होटल पर पत्थरबाजी और लूटपाट की घटनाएं भी सामने आईं। फिलहाल जिले भर में हुए कुल नुकसान का कोई आधिकारिक अनुमान नहीं लगाया जा सका है। मुख्य जिला अधिकारी ने साफ किया है कि अभी उनकी प्राथमिकता कानून-व्यवस्था बनाए रखना और जनजीवन को सामान्य करना है। नुकसान का आकलन जल्द ही शुरू किया जाएगा।
अधिकारियों के मुताबिक, आगजनी के कारण न सिर्फ फर्नीचर और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जल गए, बल्कि कई महत्वपूर्ण डेटा और दस्तावेज भी राख में बदल गए हैं। कई इमारतों को स्थायी नुकसान हुआ है, जिसकी मरम्मत में लंबा वक्त लगेगा।
बैंकों और वित्तीय संस्थानों को भी नुकसान
हिंसक प्रदर्शन में बैंकों और वित्तीय संस्थानों को भी निशाना बनाया गया। तोड़फोड़ और आगजनी से कई शाखाएं प्रभावित हुईं। हालांकि राहत की बात यह रही कि कहीं भी नकदी लूटने की घटना सामने नहीं आई। नेपाल बैंकर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष ने कहा कि अब तक किसी भी बैंक का खजाना नहीं टूटा और ग्राहकों के पैसे पूरी तरह सुरक्षित हैं। उन्होंने माना कि बैंकों को भौतिक नुकसान जरूर हुआ है, लेकिन नकदी या खातों से कोई छेड़छाड़ नहीं हुई।
सीमा शुल्क कार्यालय आंशिक रूप से शुरू
भैरहवा सीमा शुल्क कार्यालय भी आगजनी की चपेट में आ गया था और उसकी बिजली व्यवस्था पूरी तरह ठप हो गई थी। नेपाल विद्युत प्राधिकरण की मदद से अब इसे आंशिक रूप से शुरू किया गया है। फिलहाल अस्थायी काउंटर बनाकर गैस, डीजल, पेट्रोल, दवाइयों और सब्जियों जैसी जरूरी वस्तुओं की जांच और आपूर्ति शुरू की गई है।
प्रशासन की चुनौती
रूपन्देही जिले में प्रशासन के सामने सबसे बड़ी चुनौती अब हालात सामान्य करना और प्रभावित संस्थानों को जल्द चालू कराना है। मुख्य जिला अधिकारी का कहना है कि नुकसान बहुत बड़ा नहीं है, लेकिन यह तय करने में वक्त लगेगा कि कुल कितना नुकसान हुआ है और उसकी भरपाई कैसे की जाएगी।
जेन-जी आंदोलन ने नेपाल की राजनीति और समाज में एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। जहां एक तरफ युवाओं की नाराजगी सड़कों पर साफ दिख रही है, वहीं दूसरी तरफ सरकारी ढांचा और प्रशासनिक तंत्र को भारी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।

