Bihar News: बिहार में विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान भले अभी न हुआ हो, लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनकी पार्टी जेडीयू (JDU) ने तैयारियों को तेज कर दिया है। सीएम नीतीश ने इस बार साफ कर दिया है कि जिन विधायकों की रिपोर्ट ठीक नहीं है, जनता के बीच जिनकी छवि खराब हो चुकी है या जिन्होंने काम नहीं किया है, उनका टिकट काट दिया जाएगा।
जानकारी के मुताबिक, नीतीश कुमार ने इसके लिए एक योजना भी तैयार की है। पार्टी के भीतर विधायकों और संभावित उम्मीदवारों का सर्वे कराया जा रहा है। इसमें उनकी जमीनी ताकत, जनता के बीच पकड़ और उनके काम की समीक्षा की जा रही है। अगर रिपोर्ट नकारात्मक आई तो उनकी आगे की राह मुश्किल हो सकती है और उनका पत्ता साफ होना तय है।
बताया जा रहा है कि 2020 के चुनाव में टिकट वितरण के दौरान एक बड़े और प्रभावशाली नेता ने हस्तक्षेप किया था। इसके चलते कई गलत उम्मीदवारों का चयन हो गया और पार्टी को नुकसान उठाना पड़ा। नीतीश कुमार इस बार वैसी गलती नहीं दोहराना चाहते। पार्टी मानती है कि गलत टिकट बंटवारे के कारण कई सीटें हाथ से निकल गई थीं। यही वजह है कि अब हर सीट पर स्क्रीनिंग की जा रही है और नए चेहरों को भी मौका देने की तैयारी है।
पिछले विधानसभा चुनाव में जेडीयू (JDU) ने 115 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन उनमें से केवल 43 ही जीत पाए। बाद में बसपा से जमा खान और लोजपा से राजकुमार सिंह पार्टी में शामिल हुए, जिससे संख्या बढ़कर 45 हो गई। इसके बावजूद, पार्टी को 2015 की तुलना में 28 सीटों का नुकसान और करीब डेढ़ फीसदी वोट शेयर की गिरावट झेलनी पड़ी थी।
पार्टी का मानना है कि अगर समय पर सही उम्मीदवार चुने गए होते तो यह नुकसान टल सकता था। नीतीश कुमार अब व्यक्तिगत तौर पर टिकट वितरण प्रक्रिया की निगरानी कर रहे हैं। वे चाहते हैं कि इस बार पूरी तरह जांच-पड़ताल कर ही उम्मीदवार तय हों। यही वजह है कि जिन नेताओं की कार्यशैली और छवि पर सवाल उठे हैं, उनके लिए टिकट पाना बेहद मुश्किल हो जाएगा।
चुनावी समीकरणों को देखते हुए जेडीयू (JDU) इस बार नए चेहरों पर भरोसा जता सकती है। नीतीश कुमार की रणनीति साफ है—केवल वही मैदान में उतरेंगे जिन पर जनता भरोसा करती है और जिनकी छवि साफ है।

