Patna News: बाल विवाह को लेकर लंबे समय तक चर्चा में रहने वाला बिहार अब इस कुप्रथा को कम करने में उल्लेखनीय प्रगति कर रहा है। एक ताजा शोध रिपोर्ट बताती है कि राज्य में लड़कियों के बाल विवाह की दर में 70 प्रतिशत और लड़कों के बाल विवाह की दर में 68 प्रतिशत की कमी आई है। यह एक महत्वपूर्ण सामाजिक परिवर्तन की ओर बड़ी सफलता है।
कारण और राष्ट्रीय तुलना
जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन (जेआरसी) की रिपोर्ट ‘टिपिंग प्वाइंट टू जीरो’ के अनुसार, बिहार में आर्थिक स्थिति, बेहतर जोड़ीदार मिलना और सुरक्षा के मुद्दे बाल विवाह के प्रमुख कारण बने हुए हैं, लेकिन इन पर सकारात्मक बदलाव आना शुरू हो गया है। राष्ट्रीय स्तर पर भी लड़कियों के बाल विवाह की दर में 69 प्रतिशत और लड़कों के बाल विवाह की दर में 72 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है।
अन्य राज्यों की स्थिति
शोध में यह भी बताया गया है कि असम में 84 प्रतिशत, महाराष्ट्र में 70 प्रतिशत, राजस्थान में 66 प्रतिशत और कर्नाटक में 55 प्रतिशत बाल विवाह में कमी आई है। यह आंकड़े इस सामाजिक कुप्रथा से निपटने के लिए उठाए गए कदमों के प्रभावी होने का सबूत हैं।
सरकार और समाज के संयुक्त प्रयास
रिपोर्ट की मानें तो बिहार में बाल विवाह घटाने में केंद्र एवं राज्य सरकारों के साथ-साथ 250 से अधिक सामाजिक संगठनों के संयुक्त प्रयासों की बड़ी भूमिका है। ग्राम पंचायतों की जवाबदेही, उनकी सशक्तीकरण और जमीन पर जागरूकता फैलाना प्रमुख रणनीतियाँ रहीं।

