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India News: महाराष्ट्र की राजनीति में दांव-पेंच और कानूनी लड़ाइयां अक्सर चौंकाती रही हैं, लेकिन एनसीपी (अजित पवार गुट) के वरिष्ठ नेता माणिकराव कोकाटे के साथ पिछले 48 घंटों में जो हुआ, वह किसी फिल्मी पटकथा से कम नहीं है। जिस नेता को सजा के डर से 24 घंटे पहले अपना मंत्री पद छोड़ना पड़ा था, उसी नेता को अब बॉम्बे हाईकोर्ट से बड़ी ‘संजीवनी’ मिल गई है। हाईकोर्ट ने 1995 के एक पुराने मामले में कोकाटे की सजा को निलंबित करते हुए उन्हें जमानत दे दी है।
सेशंस कोर्ट का झटका और मंत्री पद की कुर्बानी
माणिकराव कोकाटे के लिए दिसंबर का महीना बेहद भारी रहा। साल 1995 के धोखाधड़ी और जालसाजी के मामले में नासिक की मजिस्ट्रेट अदालत ने उन्हें पहले ही दोषी ठहराया था। लेकिन असली संकट तब आया जब दिसंबर 2025 में नासिक सेशंस कोर्ट ने भी उनकी दो साल की सजा बरकरार रखी। इसके साथ ही उनकी गिरफ्तारी का रास्ता साफ हो गया। राजनीतिक दबाव इतना बढ़ा कि 17 दिसंबर को उनसे मंत्रालय छीन लिया गया और 18 दिसंबर को उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। ऐसा लग रहा था कि उनका राजनीतिक करियर अब सलाखों के पीछे पहुंच जाएगा।
हाईकोर्ट से मिली राहत: क्या बच जाएगी विधायकी?
19 दिसंबर 2025 को बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस मामले में दखल देते हुए कोकाटे की सजा को सस्पेंड कर दिया। अदालत के इस फैसले का मतलब यह है कि जब तक उनकी मुख्य अपील पर अंतिम फैसला नहीं आता, उन्हें जेल नहीं जाना होगा। सबसे बड़ी बात यह है कि इस राहत के बाद उनकी विधानसभा सदस्यता (विधायक पद) पर मंडरा रहा खतरा भी फिलहाल टल गया है। कानून विशेषज्ञों का मानना है कि सजा पर रोक लगने से कोकाटे को अपनी खोई हुई सियासी जमीन वापस पाने का मौका मिल गया है।
विपक्ष हमलावर, सत्ता पक्ष ने दी न्यायिक प्रक्रिया की दलील
अदालत के इस फैसले ने महाराष्ट्र की राजनीति में नई बहस छेड़ दी है। विपक्षी दलों ने सरकार और व्यवस्था पर निशाना साधते हुए कहा है कि सत्ताधारी दल के नेताओं को ‘विशेष राहत’ मिल रही है। हालांकि, सत्तारूढ़ गठबंधन ने इसे अदालत का निष्पक्ष निर्णय बताया है। फिलहाल कोकाटे के समर्थकों में खुशी की लहर है, लेकिन यह राहत अस्थायी है। आने वाले समय में हाईकोर्ट की विस्तृत सुनवाई ही तय करेगी कि कोकाटे दोबारा कैबिनेट में वापसी करेंगे या उनकी मुश्किलें फिर से बढ़ेंगी।

