India News: भगवान शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंग का वर्णन शिव महापुराण में विस्तार से मिलता है। ये ज्योतिर्लिंग पूरे देश में अलग-अलग स्थानों और दिशाओं में स्थित हैं। इन्हें ज्योति यानी प्रकाश और आध्यात्मिक ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। ऐसा विश्वास है कि इन ज्योतिर्लिंगों के दर्शन से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
भारत में 12 ज्योतिर्लिंग प्रमुख रूप से माने जाते हैं:
सोमनाथ (गुजरात), मल्लिकार्जुन (आंध्र प्रदेश), महाकालेश्वर और ओंकारेश्वर (मध्य प्रदेश), केदारनाथ (उत्तराखंड), भीमाशंकर और त्र्यंबकेश्वर (महाराष्ट्र), विश्वनाथ (उत्तर प्रदेश), वैद्यनाथ (झारखंड), नागेश्वर (गुजरात), रामेश्वर (तमिलनाडु) और घृष्णेश्वर (महाराष्ट्र)।
हालांकि इनमें से चार ज्योतिर्लिंग – भीमाशंकर, वैद्यनाथ, नागेश्वर और घृष्णेश्वर को लेकर देश में विभिन्न स्थानों पर होने का दावा किया जाता है।
🔸 भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के तीन दावे
भीमाशंकर को लेकर तीन स्थानों पर दावे किए जाते हैं:
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महाराष्ट्र के पुणे जिले के खेड़ तालुका में भीमाशंकर गांव – यह सबसे प्रमुख मान्यता है।
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असम के गुवाहाटी के पास डाकिनी पहाड़ियों में स्थित शिवलिंग – इसे असमिया में दैनी पहाड़ भी कहा जाता है।
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उत्तराखंड के नैनीताल जिले के उज्जनक गांव – यहां विशाल शिवमंदिर को भी भीमाशंकर के रूप में पूजा जाता है।
🔸 वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग – तीन स्थानों पर विवाद
वैद्यनाथ को कामना लिंग और रावणेश्वर महादेव भी कहा जाता है।
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देवघर, झारखंड – सबसे अधिक मान्यता प्राप्त स्थल।
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परली, महाराष्ट्र (बीड जिला) – इसे परली वैजनाथ के नाम से जाना जाता है।
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बैजनाथ, हिमाचल प्रदेश (कांगड़ा) – रावण की तपोस्थली मानी जाती है, जहाँ उसने शिव को प्रसन्न करने नौ शीश हवन कुंड में चढ़ाए थे।
🔸 घृष्णेश्वर या घुश्मेश्वर – दो प्रमुख स्थान
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एलोरा गुफाओं के पास वेरुल गांव, महाराष्ट्र – मान्यता प्राप्त ज्योतिर्लिंग।
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शिवाड़, राजस्थान (सवाई माधोपुर के पास) – स्थानीय लोगों का दावा है कि यहीं ईश्वरद्वार नामक स्थान शिवपुराण में वर्णित है।
🔸 नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के भी तीन दावे
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द्वारका, गुजरात – समुद्र के किनारे स्थित दारूकावन क्षेत्र को मान्यता प्राप्त है।
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औढ़ा नागनाथ, महाराष्ट्र (हिंगोली जिला) – कई मान्यताओं के अनुसार यहीं नागेश्वर ज्योतिर्लिंग है।
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जागेश्वर, उत्तराखंड (अल्मोड़ा जिला) – यहां योगेश/जागेश्वर शिवलिंग को नागेश्वर माना जाता है।
इन सब दावों के बावजूद, शिव महापुराण में जो स्थानों का उल्लेख है, उन्हें ही प्रमाणिक माना जाता है। हालांकि, श्रद्धालुओं के लिए भगवान शिव के सभी स्थान श्रद्धा के केंद्र हैं और हर स्थल पर आस्था और भक्ति की अलग-अलग कहानियां जुड़ी हैं।